राशन की
दुकान पर
हो रही
मारामार हो
गैस और
कैरोसिन
के लिये
लगी लम्बी
कहीं एक
कतार हो
जब प्रश्न
जीवन और
जीने का
हो जाता है
जरूरी होता है
इसलिये
भीड़ होने
के बावजूद
हर कोई
चला जाता है
दूसरी तरफ
एक भीड़
उस दुकान
पर जाकर
पता नहीं
कोई क्यों
लगाता है
जहां होता
है बस
काम में
ना आने वाला
ढेर सारा
कुछ सामान
कुछ सड़
गया होता है
और
बचा हुआ
आउट
आफ डेट
हो गया
होता है
राशन
और
कैरोसिन
लेने
जाने वाला
उस दुकान
के बगल से
गुजर के
रोज जाता है
थोड़ा दिमाग
लगाता है
उसको
साफ साफ
अंदाज
आ जाता है
इस तरह की
दुकानों पर
हर कोई
सामान ही
खरीदने
को नहीं
आता है
कोई दिखाने
के लिये
चिड़िया के
पंख खरीद
भी अगर
ले जाता है
असली में
वो तो
दुकानदार
के लिये
वहाँ जाता है
उसके बाद
फिर कोई
प्रश्न किसी
के दिमाग में
कहाँ रह
जाता है ।
दुकान पर
हो रही
मारामार हो
गैस और
कैरोसिन
के लिये
लगी लम्बी
कहीं एक
कतार हो
जब प्रश्न
जीवन और
जीने का
हो जाता है
जरूरी होता है
इसलिये
भीड़ होने
के बावजूद
हर कोई
चला जाता है
दूसरी तरफ
एक भीड़
उस दुकान
पर जाकर
पता नहीं
कोई क्यों
लगाता है
जहां होता
है बस
काम में
ना आने वाला
ढेर सारा
कुछ सामान
कुछ सड़
गया होता है
और
बचा हुआ
आउट
आफ डेट
हो गया
होता है
राशन
और
कैरोसिन
लेने
जाने वाला
उस दुकान
के बगल से
गुजर के
रोज जाता है
थोड़ा दिमाग
लगाता है
उसको
साफ साफ
अंदाज
आ जाता है
इस तरह की
दुकानों पर
हर कोई
सामान ही
खरीदने
को नहीं
आता है
कोई दिखाने
के लिये
चिड़िया के
पंख खरीद
भी अगर
ले जाता है
असली में
वो तो
दुकानदार
के लिये
वहाँ जाता है
उसके बाद
फिर कोई
प्रश्न किसी
के दिमाग में
कहाँ रह
जाता है ।
उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंदुकानदार नहीं दुकान में उम्दा सामान चाहिए।
जवाब देंहटाएंराशन के दुकान में चावल गेहूँ केरोसीन के अलावा मिलता ही क्या है,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
बहुत ही अच्छी और सटीक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर,प्यारी
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना...
:-)