कपड़े पुराने
हो जाते हैं
कपडे़ फट
भी जाते हैं
कपडे़ फेंक
दिये जाते हैं
कपडे़ बदल
दिये जाते हैं
कुछ लोग
फटे हुऎ कपडे़
फेंक नहीं
भी पाते हैं
पैबंद लगवाते हैं
रफू करवाते हैं
फिर से पहनना
शुरु हो जाते हैं
दो तरह के लोग
दो तरह के कपडे़
कोई नहीं करता
फटे कपड़ों
की कोई बात
जाड़ा हो या
फिर हो बरसात
जिंदगी भी
फट जाती है
जिंदगी भी
उधड़ जाती है
एक नहीं
कई बार
ऎसी स्थिति
हर किसी की
हो जाती है
यहाँ मजबूरी
हो जाती है
जिंदगी फेंकी
नहीं जाती है
सिलनी पड़ती है
रफू करनी पड़ती है
फिर से मुस्कुराते हुऎ
पहननी पड़ती है
अमीर हो या गरीब
ऎसा मौका आता है
कभी ना कभी
कहीं ना कहीं
अपनी जिंदगी को
फटा या उधड़ा हुआ
जरूर पाता है
पर दोनो में से
कोई किसी को
कुछ नहीं बताता है
आ ही जाये कोई
सामने से कभी
मुँह मोड़ ले जाता है
सिले हुऎ हिस्से पर
एक स्टिकर चिपका
हुआ नजर आता है
पूछ बैठे कोई कभी
तो खिसिया के
थोड़ा सा मुस्कुराता है
फिर झेंपते हुऎ बताता है
आपको क्या यहाँ
फटा हुआ कुछ
नजर आता है
नया फैशन है ये
आजकल इसे
कहीं ना कहीं
चिपकाया ही
जाता है
जिंदगी
किसकी
है कितनी
खूबसूरत
चिपका हुआ
यही स्टिकर
तो बताता है ।
हो जाते हैं
कपडे़ फट
भी जाते हैं
कपडे़ फेंक
दिये जाते हैं
कपडे़ बदल
दिये जाते हैं
कुछ लोग
फटे हुऎ कपडे़
फेंक नहीं
भी पाते हैं
पैबंद लगवाते हैं
रफू करवाते हैं
फिर से पहनना
शुरु हो जाते हैं
दो तरह के लोग
दो तरह के कपडे़
कोई नहीं करता
फटे कपड़ों
की कोई बात
जाड़ा हो या
फिर हो बरसात
जिंदगी भी
फट जाती है
जिंदगी भी
उधड़ जाती है
एक नहीं
कई बार
ऎसी स्थिति
हर किसी की
हो जाती है
यहाँ मजबूरी
हो जाती है
जिंदगी फेंकी
नहीं जाती है
सिलनी पड़ती है
रफू करनी पड़ती है
फिर से मुस्कुराते हुऎ
पहननी पड़ती है
अमीर हो या गरीब
ऎसा मौका आता है
कभी ना कभी
कहीं ना कहीं
अपनी जिंदगी को
फटा या उधड़ा हुआ
जरूर पाता है
पर दोनो में से
कोई किसी को
कुछ नहीं बताता है
आ ही जाये कोई
सामने से कभी
मुँह मोड़ ले जाता है
सिले हुऎ हिस्से पर
एक स्टिकर चिपका
हुआ नजर आता है
पूछ बैठे कोई कभी
तो खिसिया के
थोड़ा सा मुस्कुराता है
फिर झेंपते हुऎ बताता है
आपको क्या यहाँ
फटा हुआ कुछ
नजर आता है
नया फैशन है ये
आजकल इसे
कहीं ना कहीं
चिपकाया ही
जाता है
जिंदगी
किसकी
है कितनी
खूबसूरत
चिपका हुआ
यही स्टिकर
तो बताता है ।
जिंदगी किसकी
जवाब देंहटाएंहै कितनी
खूबसूरत
चिपका हुआ(स्टीकर यही तो बताता है ),यही तो बताता .....नया एक दिन पुराना सौ दिन ,ज़िन्दगी की गत पे गाना सिखाता है ,चिपका हुआ स्टीकर यही तो सिखलाता है ,नै मंजिल नया रस्ता बताता है ....बढ़िया रचना उलूक टाइम्स पर .मुबारक ...
यही स्टिकर
तो बताता है !
इसीलिए तो कहा जाता है कि ज़िन्दगी में कैंची नहीं सूई की ज़रूरत होती है।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि आज दिनांक 03-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-991 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत अच्छी लगी कविता सर जी।
जवाब देंहटाएंआप इतनी जल्दी-जल्दी लगभग रोज ही एक पोस्ट डालते हैं यह भी कमाल है। लेकिन यह कविता औरों से श्रेष्ठ है। मुझे लगता है कि आप यदि थोड़ा ठहर कर कविता खुद संपादित करके डालें, थोड़ा संक्षिप्त करें तो गज़ब की कविताएँ आ सकती हैं आपके ब्लॉग से। गलत लगे तो भी अन्यथा न लें मन में जो बात आई सो लिख दी।
बहुत अच्छी कविता.....साधुवाद जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता |
जवाब देंहटाएंवाह यह स्टिकर हर किसी को कभी ना कभी लगाना ही पडता है । सुंदर प्रस्तुति ।
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