उलूक टाइम्स: चित्रकार का चित्र / कवि की कविता

बुधवार, 12 सितंबर 2012

चित्रकार का चित्र / कवि की कविता

तूलिका के 
छटकने भर से 
फैल गये रंग चारों तरफ 

कैनवास पर 
एक भाव बिखरा देते हैं 
चित्रकार की कविता चुटकी में बना देते हैं 

सामने वाले के लिये 
मगर होता है बहुत मुश्किल ढूँढ पाना 

अपने रंग 
उन बिखरे हुवे इंद्रधनुषों में अलग अलग 

किसी को नजर आने शुरु हो जाते हैं 
बहुत से अक्स आईने की माफिक 
तैरते हुऎ जैसे होंं उसके अपने सपने 

और कब अंजाने में 
निकल जाता है उसके मुँह से वाह !

दूसरा उसे देखते ही सिहर उठता है 

बिखरने लगे हों जैसे उसके अपने सपने 
और लेता है एक ठंडी सी आह !

दूर जाने की कोशिश करता हुआ 
डर सा जाता है 
उसके अपने चेहरे का रंग 
उतरता हुआ सा नजर आता है 

किसी का किसी से 
कुछ भी ना कहने के बावजूद 
महसूस हो जाता है 

एक तार का झंकृत होकर 
सरगम सुना देना 
और एक तार का 
झंकार के साथ उसी जगह टूट जाना 

अब अंदर की बात होती है 
कौन किसी को कुछ बताता है 

कवि की कविता और चित्रकार का एक चित्र 
कभी कभी यूँ ही बिना बात के
 एक पहेली बन जाता है ।

 चित्र साभार: 
https://www.kisscc0.com/

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर गवेषणात्मक रचना।
    कविता में शब्द बोलते हैं और चित्र में तूलिका बोलती है।

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  2. चित्रकार का चित्र / कवि की कविता
    और चित्रकार का
    एक चित्र कभी कभी
    यूँ बिना बात के
    पहेली बन जाता है ! -और एबस्ट्रेक्ट पोइट्री और एबस्ट्रेक्ट आर्ट कहाता है .
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
    हाँ !यह भारत है

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  3. बहुत सुन्दर ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति..सुशील जी...आभार

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  4. शब्द हों या रंग...या नीला आकाश, दृष्टि अपनी,अर्थ अपने.......व्याख्या अपनी मनःस्थिति

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  5. बहुत गहन प्रस्तुति तस्वीर चित्रकार के मन की अभिव्यक्ति होती है

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 06 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. सारगर्भित,
    सब अपने मनोभावों के अनुरूप ही चित्र और कविता से अलग अलग अर्थ निकालते हैं ।
    सार्थक सुंदर।

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  8. वाह !बहुत ही सुंदर सराहना से परे।
    किसी का किसी से
    कुछ भी ना कहने के बावजूद
    महसूस हो जाता है

    एक तार का झंकृत होकर
    सरगम सुना देना
    और एक तार का
    झंकार के साथ उसी जगह टूट जाना ..वाह!

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