जंगल की सब्जियों
फल फूल को छोड़
घास फूस खरपतवार
के लिये थी जो होड़
उसपर शेर ने जैसे
ही विराम लगवाया
फालतू पैदावार
के सब ठेकों को
दूसरे
जंगल के
घोडों को
दिलवाने का
पक्का
भरोसा दिलवाया
लोमड़ी के
आह्वाहन पर
भेड़ बकरियों ने
सियारों के साथ
मिलकर आज
प्रदर्शन करवाया
परेशानी क्या है
पूछने पर
ऎसा कुछ
समझ में है आया
बकरियों ने
अब तक
घास के साथ
खरपतवार को
जबसे है उगाया
हर साल की बोली में
हजारों लाखों का
हेर फेर है करवाया
जिसका
हिसाब किताब
आज तक कभी भी
आडिट में नहीं आया
लम्बी चौड़ी
खरपतवार के बीच में
सियारों ने भी
बहुत से खरगोशों
को भी शिकार बनाया
जिसका पता
किसी को
कभी नहीं चल पाया
एक दो खरगोश
का हिस्सा
लोमड़ी के हाथ भी
हमेशा ही है आया
माना कि अब
खाली सब्जी ही
उगायी जायेगी
सबकी सेहत भी
वो बनायेगी
पर घास
खरपतवार की
ऊपर की कमाई
किसी के हाथ
नहीं आयेगी
सीधे सीधे
हवा में घुस जायेगी
इसपर नाराजगी
को है दर्ज कराया
बीस की भीड़ ने
एक आवाज से
सरकार को
है चेताया
सौ के नाम
एक पर्ची में
लिखकर
कल के
अखबार में
छपने के लिये
भी है भिजवाया ।
फल फूल को छोड़
घास फूस खरपतवार
के लिये थी जो होड़
उसपर शेर ने जैसे
ही विराम लगवाया
फालतू पैदावार
के सब ठेकों को
दूसरे
जंगल के
घोडों को
दिलवाने का
पक्का
भरोसा दिलवाया
लोमड़ी के
आह्वाहन पर
भेड़ बकरियों ने
सियारों के साथ
मिलकर आज
प्रदर्शन करवाया
परेशानी क्या है
पूछने पर
ऎसा कुछ
समझ में है आया
बकरियों ने
अब तक
घास के साथ
खरपतवार को
जबसे है उगाया
हर साल की बोली में
हजारों लाखों का
हेर फेर है करवाया
जिसका
हिसाब किताब
आज तक कभी भी
आडिट में नहीं आया
लम्बी चौड़ी
खरपतवार के बीच में
सियारों ने भी
बहुत से खरगोशों
को भी शिकार बनाया
जिसका पता
किसी को
कभी नहीं चल पाया
एक दो खरगोश
का हिस्सा
लोमड़ी के हाथ भी
हमेशा ही है आया
माना कि अब
खाली सब्जी ही
उगायी जायेगी
सबकी सेहत भी
वो बनायेगी
पर घास
खरपतवार की
ऊपर की कमाई
किसी के हाथ
नहीं आयेगी
सीधे सीधे
हवा में घुस जायेगी
इसपर नाराजगी
को है दर्ज कराया
बीस की भीड़ ने
एक आवाज से
सरकार को
है चेताया
सौ के नाम
एक पर्ची में
लिखकर
कल के
अखबार में
छपने के लिये
भी है भिजवाया ।
आज की व्यवस्था पर अच्छी पेशकश
जवाब देंहटाएंजबरदस्त आक्रोश |
जवाब देंहटाएंविद्रोही कथा |
आज की व्यवस्था पर बहुत सटीक व्यंग्य...
जवाब देंहटाएंअंधे आगे रोवे अपने नैना खोवे .किसी व्यंग्य किसी व्यंजना का अब किसी पे कोई प्रभाव नहीं पड़ता ,कैसे उल्लुओं से पाला पड़ा है उलूक टाइम्स में छपते -छपते ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब विडंबना औ हेरा फेरी को उभारा है सराकरी शातिरों की ,विदेशी खातिरों की ....
व्यवस्था पर उचित आक्रोस,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,
आज की व्यवस्था पर सटीक व्यंग..बहुत बढ़िया..नई पोस्ट पर आप का स्वागत..
जवाब देंहटाएंbahut sateek ...!!
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen.
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक और सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंयह भी जोरदार है।..वाह!
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