चिन्तक
डा. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या पर आना शुरु हो गये हैं वक्तव्य
डा. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या पर आना शुरु हो गये हैं वक्तव्य
नृशंश हुई है हत्या अब कह रहे हैं लोग
समाज की भलाई की सोच लेकर चल रहे होते हैं लोग
ऎसे लोगों की ही हत्या सरेआम कर रहे होते हैं लोग
कोशिश रोज ही की जाती है हत्याऎं होती रहें
ऎसे लोगों के विचारों की विचार ज्यादा शक्तिशाली हो जाते हैं
काबू में आने से इन्कार कर जाते हैं ऎसे में बौखला जाते हैं लोग
पहले बहुत कम होता था संचार माध्यम ऎसा नहीं था
पता भी कहाँ चलता था अब तुरंत बात फैला देते हैं लोग
अब तो रोज ही बेखौफ हत्या करने लगे हैं लोग
बने हुऎ हैं इसपर भी मूकदर्शक लोग
बस वक्तव्य देने में नहीं कतराते हैं लोग
विचार जब तक जिंदा रहते हैं
विचार को अनदेखा कर जाते हैं लोग
निर्विकार भाव दिखा कर विचार से कतराते हैं लोग
इसी श्रृंखला में आज
एक सामाजिक विचारक का मुंह बंद करा गये हैं लोग
पता चलते ही श्रद्धांजलि देना शुरु कर
इतिश्री करने की तरफ जाने लगे हैं लोग
इतिश्री करने की तरफ जाने लगे हैं लोग
शर्म आ रही हो उन्हे बहुत ही जैसे शरमाने लगे हैं लोग
कहीं दूसरी ओर विचारों को कत्ल करने की
नई योजना बनाने शुरु हो गयें है लोग ।
नई योजना बनाने शुरु हो गयें है लोग ।
चित्र साभार: : https://economictimes.indiatimes.com/
सादर नमन -
जवाब देंहटाएंआई ख़बरें दुखभरी, किन्तु बेखबर देश |
मौतें होती ही रहें, घटना कहाँ विशेष |
घटना कहाँ विशेष, तवज्जो क्योंकर देता |
हों दर्जन भर मौत, तभी बोलेंगे नेता |
मरें कहीं पर छात्र, कहीं पनडुब्बी खाई |
बढे अंधविश्वास, रेल भी करे कटाई ||
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (22-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 93" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
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