आज तू नहीं आयेगा
थक
गया होगा
आराम करने को
कहीं दूर चला जायेगा
चार सौ पन्ने
भर तो चुका है
अपनी बकवासों से
कुछ
रह नहीं गया होगा
बकाया तेरे पास
शायद तुझसे अब
कुछ नया नहीं कहा जायेगा
कुछ नया नहीं कहा जायेगा
ऎसा
कहाँ हो पाता है
जब
कोई कुछ भी
कभी भी कहीं भी
लिखना शुरु जाता है
कहीं
ना कहीं से
कुछ ना कुछ
खोद के लिखने के
लिये ले आता है
अब
इतना बड़ा देश है
तरह तरह
की भाषाऎं हैं बोलियाँ हैं
की भाषाऎं हैं बोलियाँ हैं
हर
गली मोहल्ले के
अपने तीज त्योहार हैं
हर गाँव
हर शहर की
अपनी अपनी
रंगबिरंगी टोलियाँ हैं
कोई
देश की बात
को
बडे़ अखबार तक
पहुँचा ले जाता है
सारे
अखबारों का
मुख्य पृष्ठ उस दिन
उसी खबर से पट जाता है
पता
कहाँ कोई कर पाता है
कि
खबर
वाकई में कोई एक
सही ले कर यहाँ आता है
वाकई में कोई एक
सही ले कर यहाँ आता है
सुना
जाता है
इधर के
सबसे बडे़ नेता
को
कोई बंदर कह जाता है
सबसे बडे़ नेता
को
कोई बंदर कह जाता है
बंदर
की टीम का
कोई एक सिकंदर
खुंदक में
किसी को फंसाने के लिये
सुंदर सा प्लाट बना ले जाता है
उधर
का बड़ा नेता
बंदर बंदर सुन कर
डमरू
बजाना शुरु हो जाता है
बजाना शुरु हो जाता है
साक्षात
शिव का रुप हो जाता है
शिव का रुप हो जाता है
तांडव
करना शुरु हो जाता है
करना शुरु हो जाता है
अब
ये तो बडे़ मंच की
बड़ी बड़ी रामलीलाऎं होती है
हम जैसे
कूप मंडूकों से
इस लेवल तक कहाँ पहुँचा जाता है
हमारी
नजर तो
बडे़ लोगों के
छोटे छोटे चाहने
वालों तक ही पहुंच पाती है
उनकी
हरकतों को
देख कर ही हमारी इच्छाऎं
सब हरी हो जाती हैं
सब हरी हो जाती हैं
किसी
का लंगोट
किसी की टोपी
के धूप में सूखते सूखते
के धूप में सूखते सूखते
हो गये दर्शन की सोच ही
हमें
मोक्ष दिलाने के लिये
काफी हो जाती हैं
हमें
मोक्ष दिलाने के लिये
काफी हो जाती हैं
सबको पता है
ये
छोटी छोटी नालियाँ ही
मिलकर एक बड़ा नाला
और
बडे़ बडे़ नाले मिलकर ही
देश को डुबोने के लिये
गड्ढा तैयार करवाती हैं
गड्ढा तैयार करवाती हैं
कीचड़ भरे
इन्ही गड्ढों के ऊपर
फहरा रहे
झकाझक झंडों पर ही
लेकिन सबकी
झकाझक झंडों पर ही
लेकिन सबकी
नजर जाकर टिक जाती है
सपने
बडे़ हो जाते हैं
कुछ सो जाते हैं कुछ खो जाते हैं
झंडे
इधर से उधर हो जाते हैं
नालियाँ
उसी जगह
बहती रह जाती हैं
उसमें
सोये हुऎ
मच्छर मक्खी
फिर से भिनभिनाना
शुरु हो जाते हैं
ऎसे में
जो सो नहीं पाते हैं
जो खो नहीं जाते हैं
वो भी
क्या करें
'उलूक'
अपनी अपनी
बकवासों को लेकर
लिखना पढ़ना शुरु हो जाते हैं ।
चित्र साभार: https://www.quora.com/
चित्र साभार: https://www.quora.com/
सबको पता है
जवाब देंहटाएंये छोटी छोटी
नालियाँ ही मिलकर
एक बड़ा नाला
और बडे़ बडे़
नाले मिलकर ही
देश को डुबोने
के लिये गड्ढा
तैय्यार करवाती हैं
बिलकुल सटीक व सही !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 04 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशानदार लेखन
जवाब देंहटाएंवाह!सर ,बहुत खूब!!
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