कभी
अचानक
उल्टी चलती
हुई एक
चलचित्र
की रील
अनायास
ही
पता नहीं
कैसे
बहुत पीछे
की ओर
निकल
पड़ती है
जब
सामने से
आता हुआ
कोई तुम्हें
देख कर
थोड़ा सा
ठिठकता
हुआ
आगे की
ओर चल
पड़ता है
बस
दो कदम
फिर
दोनो की
गर्दने
मुड़ती हैं
और
एक ही साथ
निकलता है
मुँह से
अरे आप हैं
इस बीच
दोनो
देखना
शुरु हो
चुके होते हैंं
एक दूसरे
के चेहरों पर
समय के
कुछ निशान
जैसे ढूँढ
रहे होंं
अपना सा
कुछ
जो अपने को
याद आ जाये
ऐसा कुछ
पता चले
या
खबर मिले
किसी की
कहीं से भी
पर
ऐसा होता
नहीं हैं
सारी बातें
इधर उधर
घूमती हैं
बेवजह
कुछ देर
ना वो कुछ
कह पाता है
ना ये ही
कुछ कह
लेना
चाहता है
हाथ
मिलते हैं
कुछ देर
जैसे
महसूस करना
चाह रहे
होते हैं कुछ
फिर हट
जाते हैं
अपनी अपनी
जगह
और
बाकी सब
ठीक ही
होगा पर
बात खत्म
हो जाती है
दोनो निकल
पड़ते हैं
फिर आगे
अपने
सफर पर
जैसे
कोशिश
कर रहे हों
वापस
उसी जगह
लौटने की
जहाँ पर
से पीछे
मुड़ पड़े
थे दोनो
दो दो
कदम ।
अचानक
उल्टी चलती
हुई एक
चलचित्र
की रील
अनायास
ही
पता नहीं
कैसे
बहुत पीछे
की ओर
निकल
पड़ती है
जब
सामने से
आता हुआ
कोई तुम्हें
देख कर
थोड़ा सा
ठिठकता
हुआ
आगे की
ओर चल
पड़ता है
बस
दो कदम
फिर
दोनो की
गर्दने
मुड़ती हैं
और
एक ही साथ
निकलता है
मुँह से
अरे आप हैं
इस बीच
दोनो
देखना
शुरु हो
चुके होते हैंं
एक दूसरे
के चेहरों पर
समय के
कुछ निशान
जैसे ढूँढ
रहे होंं
अपना सा
कुछ
जो अपने को
याद आ जाये
ऐसा कुछ
पता चले
या
खबर मिले
किसी की
कहीं से भी
पर
ऐसा होता
नहीं हैं
सारी बातें
इधर उधर
घूमती हैं
बेवजह
कुछ देर
ना वो कुछ
कह पाता है
ना ये ही
कुछ कह
लेना
चाहता है
हाथ
मिलते हैं
कुछ देर
जैसे
महसूस करना
चाह रहे
होते हैं कुछ
फिर हट
जाते हैं
अपनी अपनी
जगह
और
बाकी सब
ठीक ही
होगा पर
बात खत्म
हो जाती है
दोनो निकल
पड़ते हैं
फिर आगे
अपने
सफर पर
जैसे
कोशिश
कर रहे हों
वापस
उसी जगह
लौटने की
जहाँ पर
से पीछे
मुड़ पड़े
थे दोनो
दो दो
कदम ।
परिवर्तन की धुँधली आशा के लिये भारत को वधाई !
जवाब देंहटाएंअच्छे तर्क और अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंअतीत को सँभालने का जीने का प्रयास ,सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंलौटना हमेशा सुखद होता है...
जवाब देंहटाएंपर ये सफ़र है कि पीछे मुड़ने नहीं देता!
अतीत को जीने का पुनर्प्रयास.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-12-2013) "नीड़ का पंथ दिखाएँ" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1461 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!