सड़े हुऐ पेड़
की फुनगी पर
कुछ हरे
पत्ते दिखाई
दे रहे हैं
का समाचार लेकर
अखबारी दीमक
दीमकों की
रानी के पास
डरते डरते
जा पहुँचा
उसके मुँह पर
उड़ रही हवा
को देखकर
रानी ने अपने
मंत्री दीमक
को इशारा
करके पूछा
क्या बात है
क्या हो गया
इस को देख कर
तो लग रहा है
जैसे कहीं कोई
बहुत बड़ा तूफान
है आ बैठा
मंत्री मुस्कुराया
थोड़ा उठा
रानी जी के
नजदीक पहुँच कर
कान में फुसफुसाया
महारानी जी
कुछ भी कहीं
नहीं हुआ है
इसको थोड़ी
देर के लिये
कुछ मतिभ्रम सा
कुछ हो गया है
दो चार हरे पत्ते
पेड़ पर देख कर
क्या आ गया है
सारा जंगल हरा
हो जाने वाला है
सोच कर ही
फालतू में
चकरा गया है
आप क्यों
बेकार में
परेशान होने
जा रही हैं
कुछ मजबूत
दीमकों को
आज से
नई तरह से
काम शुरु करने
का न्योता
भेजा गया है
हमारे दीमक
इतना चाट चुके
हैं पेड़ की लकड़ी को
वैसे भी चाटने
के लिये कहीं
कुछ बचा क्या है
पुराने दीमकों को
छुट्टी पर इसलिये
कल से ही
भेज दिया गया है
नये दीमक
नई उर्जा से
चाटेंगे पेड़ के
कण कण को
यही संदेश
हर कोने कोने पर
पहुँचा दिया गया है
पीले दीमक
पीछे को
चले जा रहे हैं
लाल दीमक
झंडा अपना
अब लहरा रहे हैं
इस
बेवकूफ को
क्या पता
कहाँ कहाँ
इस युग में
क्या से क्या
हो गया है
पेड़ को भी
पता नहीं
आज ही
आज में
ना जाने
क्या हो गया है
बुझते हुऐ दिये
की जैसे एक
लौ हो गया है
चार हरे पत्तों से
क्या कुछ हो जायेगा
बेवकूफ
जानता ही नहीं
नया दीमक
लकड़ी के
साथ साथ
हरे पत्ते
सलाद
समझ कर
स्वाद से
खा जायेगा ।
की फुनगी पर
कुछ हरे
पत्ते दिखाई
दे रहे हैं
का समाचार लेकर
अखबारी दीमक
दीमकों की
रानी के पास
डरते डरते
जा पहुँचा
उसके मुँह पर
उड़ रही हवा
को देखकर
रानी ने अपने
मंत्री दीमक
को इशारा
करके पूछा
क्या बात है
क्या हो गया
इस को देख कर
तो लग रहा है
जैसे कहीं कोई
बहुत बड़ा तूफान
है आ बैठा
मंत्री मुस्कुराया
थोड़ा उठा
रानी जी के
नजदीक पहुँच कर
कान में फुसफुसाया
महारानी जी
कुछ भी कहीं
नहीं हुआ है
इसको थोड़ी
देर के लिये
कुछ मतिभ्रम सा
कुछ हो गया है
दो चार हरे पत्ते
पेड़ पर देख कर
क्या आ गया है
सारा जंगल हरा
हो जाने वाला है
सोच कर ही
फालतू में
चकरा गया है
आप क्यों
बेकार में
परेशान होने
जा रही हैं
कुछ मजबूत
दीमकों को
आज से
नई तरह से
काम शुरु करने
का न्योता
भेजा गया है
हमारे दीमक
इतना चाट चुके
हैं पेड़ की लकड़ी को
वैसे भी चाटने
के लिये कहीं
कुछ बचा क्या है
पुराने दीमकों को
छुट्टी पर इसलिये
कल से ही
भेज दिया गया है
नये दीमक
नई उर्जा से
चाटेंगे पेड़ के
कण कण को
यही संदेश
हर कोने कोने पर
पहुँचा दिया गया है
पीले दीमक
पीछे को
चले जा रहे हैं
लाल दीमक
झंडा अपना
अब लहरा रहे हैं
इस
बेवकूफ को
क्या पता
कहाँ कहाँ
इस युग में
क्या से क्या
हो गया है
पेड़ को भी
पता नहीं
आज ही
आज में
ना जाने
क्या हो गया है
बुझते हुऐ दिये
की जैसे एक
लौ हो गया है
चार हरे पत्तों से
क्या कुछ हो जायेगा
बेवकूफ
जानता ही नहीं
नया दीमक
लकड़ी के
साथ साथ
हरे पत्ते
सलाद
समझ कर
स्वाद से
खा जायेगा ।
चार हरे पत्तों से
जवाब देंहटाएंक्या कुछ हो जायेगा
बेवकूफ जानता ही नहीं
नया दीमक लकड़ी के
साथ साथ हरे पत्ते
सलाद समझ कर
स्वाद से खा जायेगा !
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंकांग्रेस (दीमक )पर करारा व्यंग्य। ये गणतंत्री दीमक हैं भाई साहब ,खानदानी हैं। इनकी वंशवेल अब
समाप्त प्राय: है।प्रधान दीमक अब वंश वृद्धि नहीं करता। अलबत्ता सहजीवन (लिविंग इन रिलेशन
)अपनाये है।
बहुत ही सुंदर बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (10-12-2013) को मंगलवारीय चर्चा --1456 कमल से नहीं झाड़ू से पिटे हैं हम में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सत्य है-
जवाब देंहटाएंऐसी दवा का असर कितने दिन-??
बढ़िया है आदरणीय-
शुभकामनायें -