बायोडाटा या क्यूरिक्यूलम विटे
नजदीकी और जाने पहचाने शब्द
अर्थ आज तक कभी सोचा नहीं
हाँ बनाये एक नहीं कई बार हैं
कई जगह जा कर बहुत से कागज
बहुत से लोगों को दिखाते भी आये हैं
कोई नयी बात नहीं है
पर आज अचानक हिंदी में सोच बैठा
पता चला
अर्थ नहीं हमेशा अनर्थ ही करते चले आये हैं
व्यक्तिवृत या जीवनवृतांत होता हो जिनका मतलब
उसके अंदर बहुत कुछ
ऊल जलूल बस बताते चले आये हैं
डेटा तक सब कुछ ठीक ठाक नजर आता है
बहुत से लोगों के पास
बहुत ज्यादा ज्यादा भी पाया जाता है
कुछ खुद ही बना लिया जाता है
कुछ
सौ पचास बार जनता से कहलवा कर
जुड़वा दिया जाता है
पर वृतांत कहते ही
डेटा खुद ही पल्टी मार ले जाता है
अपने बारे में सभी कुछ
सच सच बता देने का इशारा
करना शुरु हो जाता है
और
जैसे ही बात शुरु होती है
कुछ सोचने की वृतांत की
उसके बारे में फिर
कहाँ कुछ भी किसी से भी कहा जाता है
अपने अंदर की सच्चाई से लड़ता भिड़ता ही कोई
अपने बारे में कुछ सोच पाता है
रखता है जिस जगह पर अपने आप को
उस जगह को पहले से ही किसी और से
घिरा हुआ पाता है
आसान ही नहीं बहुत मुश्किल होता है
जहां अपने सारे सचों को
बिना किसी झूठ का सहारा लिये
किसी के सामने से रख देना
वहीं बायोडेटा किसी का
किसी को
कहाँ से कहाँ रख के आ जाता है
इस सब के बीच
बेचारा जीवनवृतांत
कब खुद से ही उलझ जाता है
पता ही नहीं चल पाता है ।
चित्र साभार:
https://interview-coach.co.uk/5-smart-ways-social-media-can-boost-your-career-success/
शुक्रिया भाई साहब आपकी निरंतर टिपण्णी आपके सशक्त लेखन को सलाम। बढ़िया प्रस्तुति है पीठ और पेट दिखाने की।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा,उत्कृष्ट प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: एक बूँद ओस की.
बहुत खूब ! बायोडाटा का गहन अर्थ तो पता ही नहीं था.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (18-12-13) को चर्चा मंच 1465 :काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन- में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया प्रस्तुति -
जवाब देंहटाएंआभार आपका-