सियार को
खेत से
निकलता
हुआ देखते ही
घरेलू कुत्ता
होश खो बैठा
जैसे
थोड़ा नहीं
पूरा ही
पागल हो गया
भौंकना शुरु
हुआ और
भौंकता ही
चला गया
बहुत देर तक
इंतजार किया
कहीं कुछ
नहीं हुआ
इधर बाहर
से किसी
ने आवाज
लगाई
सुनकर
श्रीमती जी
रसोई से ही
चिल्लाई
देख भी दो
बाहर कोई
बुला रहा है
कितनी देर से
बाबू जी बाबू जी
चिल्ला रहा है
उधर बंदरों
की टोली
ने लड़ना
शुरु किया
एक के
बाद दूसरे ने
खौं खौं
चीं चीं पीं पीं
करना शुरु किया
छत से पेड़ पर
पेड़ से छत पर
एक दूसरे
के पीछे
लड़ते मरते
कूदते फाँदते
भागना शुरु किया
उसी समय
बिजली ने
बाय बाय
कर अंधेरा
करते हुऐ
एक और
झटका दे दिया
इंवर्टर
चला कर
वापस
लौटा ही था
फोन तुरंत
घनघना उठा
बगल के
घर से ही
कोई बोल
रहा था
दो कदम
चलने से भी
परहेज कर
रहा था
टेलीफोन
डायरेक्टरी
देख किसी
का नम्बर
बताने को
बोल रहा था
झुंझुलाहट
शुरु हो
चुकी थी
मन ही मन
खीजना
मुँह के अंदर
बड़बड़ाने को
उकसा चुका था
बीस मिनट
दिमाग खपाने
के बाद भी
माँगे गये
नंबर का
अता पता
नहीं था
फोन पर
माफी मांग
थोड़ा चैन से
बैठा ही था
इंवर्टर ने
लाल बत्ती
जला कर
बैटरी डिसचार्ज
होने का
ऐलार्म बजाना
शुरु कर दिया था
कुत्ता अभी भी
पूरे जोश से
गला फाड़ कर
भौंके जा रहा था
श्रीमती जी
का
सुन्दर काण्ड
पढ़ना शुरु
हो चुका था
घंटी
बीच बीच में
कोई बजा
ले रहा था
लिखना शुरु
करते ही
जैसे पूरा
हो जा रहा था
आज इतने
में ही
सब कुछ
जैसे कह दिया
जा रहा था
बाकी सोचने
के लिये
कौन सा
कल फिर
नहीं आ
रहा था
कुत्ता
अभी भी
बिल्कुल
नहीं थका था
उसी अंदाज
में भौंकता
ही चला
जा रहा था ।
खेत से
निकलता
हुआ देखते ही
घरेलू कुत्ता
होश खो बैठा
जैसे
थोड़ा नहीं
पूरा ही
पागल हो गया
भौंकना शुरु
हुआ और
भौंकता ही
चला गया
बहुत देर तक
इंतजार किया
कहीं कुछ
नहीं हुआ
इधर बाहर
से किसी
ने आवाज
लगाई
सुनकर
श्रीमती जी
रसोई से ही
चिल्लाई
देख भी दो
बाहर कोई
बुला रहा है
कितनी देर से
बाबू जी बाबू जी
चिल्ला रहा है
उधर बंदरों
की टोली
ने लड़ना
शुरु किया
एक के
बाद दूसरे ने
खौं खौं
चीं चीं पीं पीं
करना शुरु किया
छत से पेड़ पर
पेड़ से छत पर
एक दूसरे
के पीछे
लड़ते मरते
कूदते फाँदते
भागना शुरु किया
उसी समय
बिजली ने
बाय बाय
कर अंधेरा
करते हुऐ
एक और
झटका दे दिया
इंवर्टर
चला कर
वापस
लौटा ही था
फोन तुरंत
घनघना उठा
बगल के
घर से ही
कोई बोल
रहा था
दो कदम
चलने से भी
परहेज कर
रहा था
टेलीफोन
डायरेक्टरी
देख किसी
का नम्बर
बताने को
बोल रहा था
झुंझुलाहट
शुरु हो
चुकी थी
मन ही मन
खीजना
मुँह के अंदर
बड़बड़ाने को
उकसा चुका था
बीस मिनट
दिमाग खपाने
के बाद भी
माँगे गये
नंबर का
अता पता
नहीं था
फोन पर
माफी मांग
थोड़ा चैन से
बैठा ही था
इंवर्टर ने
लाल बत्ती
जला कर
बैटरी डिसचार्ज
होने का
ऐलार्म बजाना
शुरु कर दिया था
कुत्ता अभी भी
पूरे जोश से
गला फाड़ कर
भौंके जा रहा था
श्रीमती जी
का
सुन्दर काण्ड
पढ़ना शुरु
हो चुका था
घंटी
बीच बीच में
कोई बजा
ले रहा था
लिखना शुरु
करते ही
जैसे पूरा
हो जा रहा था
आज इतने
में ही
सब कुछ
जैसे कह दिया
जा रहा था
बाकी सोचने
के लिये
कौन सा
कल फिर
नहीं आ
रहा था
कुत्ता
अभी भी
बिल्कुल
नहीं थका था
उसी अंदाज
में भौंकता
ही चला
जा रहा था ।
bahut khoob!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (27-12-13) को "जवानी में थकने लगी जिन्दगी है" (चर्चा मंच : अंक-1474) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..........नमस्ते भैया
जवाब देंहटाएंअच्छी व्यंग्यात्मक प्रस्तुति है !
जवाब देंहटाएंये पूरा पढने को मिला अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंवाह !!!!! क्या कहने... बहुत खूब !
जवाब देंहटाएं