उलूक टाइम्स: समय के साथ मर जाने वाले लिखे पढ़े को छापने से क्या होगा

शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

समय के साथ मर जाने वाले लिखे पढ़े को छापने से क्या होगा

पेड़ की शाख पर ही
बैठ कर देखा था
जटायू ने भी
बहुत कुछ उस समय
बहुत कुछ बताया भी था
मरते मरते तक भी
राम को सीताहरण
का आँखों देखा हाल
तुलसीदास जी तो
लिख भी गये थे
रामचरित मानस में
जंगल के बीच हुआ
सारा का सारा बबाल
दूरियाँ बहुत थी
बात जाती ही थी
बहुत दूर तलक जब
निकल ही लेती थी
गजल तब भी बनती थी
संगीत भी दिया जाता था
अपसरायें भी उतर लेती थी
कभी कभी ऊपर
आसमान से नीचे
इस धरती पर
धरती पर ही जैसे
एक स्वर्ग उतर आता था
लिखा गया होगा
जरूर कहीं ना कहीं
सच भी होगा
एक कहाँनी नहीं होगी
जरूर इतिहास के किसी
मोड़ का वर्णन होगा
और इसी लिये तो
उस जमाने का राम
आज तक जिंदा होगा
औरत का अपहरण
और उसके घर से
उसके निष्काशन का बिल
उस समय की संसद में
ही पास हो गया होगा
इसी लिये बेधड़क
हिम्मती लोगों के द्वारा
आज तक प्रयोग
हो रहा होगा
बस राम राज्य की
कल्पना को कहीं
ऊपर से संशोधन
के लिये लौटा
दिया गया होगा
जटायू को दूर तक
नहीं देखने की
चेतावनी भी तभी
दे दी गई होगी
एक उल्लू भी तभी से
हर शाख पर बैठा
दिया गया होगा
और इन्ही उल्लुओं
की खबर छापने के लिये
उल्लुओं में सबसे उल्लू
को एक अखबार निकालने
के लिए कह
दिया गया होगा
इतिहास भी होगा
सीता और राम
भी चलता चलेगा
तुलसीदास की
रामचरित मानस की
रायल्टी के लिये
सुप्रीम कोर्ट का
फैसला भी होगा
उल्लूक की समझ में
नहीं आई तो बस
यही बात कि उसने
उल्लूक के अखबार
की किताब छाप लेने
को क्यों कहा होगा
शायद उसे मालूम
हो गया होगा
आने वाले समय में
कूड़े के व्यापार में ही
नुकसान कम और
नफा ज्यादा होगा !

5 टिप्‍पणियां:

  1. राम एक आदर्श हैं और सदियों रहेंगे....उनका जीवन प्रेरित करता है...राम द्वारा सीता-निष्कासन कहाँ तक ज़ायज था जबकि उनकी अग्नि-परीक्षा भी हो चुकी थी? या तभी तो वो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए.....यह तथ्य अभी तक हमें भी परेशान करता है...ऐसे गूढ़ तथ्य वैसे भी आसानी से नहीं समझ आते, जैसा कि डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी कहते हैं:
    कृष्ण और राम को जानने के लिए
    सुर-तुलसी सा ही आचरण चाहिए...
    ......इस पर विद्वजन अपनी राय देंगे तो कृपा होगी...
    सादर,

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  2. विद्वान लोगों की बात
    उल्लूक की समझ
    में कहाँ आती है
    शाख में बैठे बैठे
    जब कहीं कुछ अजीब
    बात दिख जाती है
    बर्बादे गुलिस्ताँ करने में
    उसकी कोई राय तक
    नहीं ली जाती है
    राम के जमाने से
    अपनी सुविधानुसार
    करने की प्रथा
    आज भी चली आती है
    बस एक छोटी सी
    बात ही लम्बी बना के
    यहाँ लिख दी जाती है
    बाकी विद्वान लोगों
    की समीक्षा अपने अपने
    हिसाब से अपने समय
    पर दे ही दी जाती है :)

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  3. जटायु को हिदायत
    मुँह पर ताले और हर शाख पर उल्लू
    भ्रष्टाचार बढ़ गया

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-01-2014) को "सत्य कहना-सत्य मानना" (चर्चा मंच-1496) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. उल्लुओं में सबसे उल्लू
    को एक अखबार निकालने
    के लिए कह
    दिया गया होगा

    वा वाह . . . भाई जी !!

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