एक काम के
बहुत ही
सुचारू रूप से
समय से पहले ही
पूरा हो जाने पर
साहब का पारा
सातवें आसमान
पर चला गया
तहकीकात करवाने
के लिये एक
खासम खास को
समझा दिया गया
पूछने को कहा गया
इतनी जल्दी
काम को बिना
सोचे समझे
किससे पूछ कर
पूरा करा लिया गया
रुपिया पैसा जबकि
जरूरत से ज्यादा
ही था दिया गया
बताना ही पढ़ेगा
आधे से ज्यादा
कैसे बचा कर
वापिस लौटा
दिया गया
पूछताछ करने पर
खासम खास ने
कुछ कुछ ऐसा
पता लगा लिया
रोज उसी काम को
सफाई से निपटा
ले जाने वाला
इस बार पत्नी के
बीमार हो जाने
के कारण मजबूरी
में छुट्टी पर
था चला गया
काम करवाना चूंकि
एक मजबूरी थी
एक नये आदमी को
काम पर इसलिये
लगा दिया गया
बेवकूफ था
दुनियादारी से
बेखबर था
ईमानदार था
कैसे निपटाना है
ऐसे काम को
किसी और से
राय लेने तक
पता नहीं
क्यों नहीं गया
हो ही जाना था
काम को इस बार
जैसे हुआ करता था
हमेशा ही वैसा
कुछ भी नहीं हुआ
फल लगा पेड़ पर
पका हुआ था
सब से देखा भी गया
बैचेनी बड़ी फैली
पूरे निकाय में
कहा गया झुंझलाहट में
ये सब जो भी हुआ
बहुत अच्छा नहीं हुआ
फर्जीवाड़ा नहीं कर
सकता हो
जो इतना भी
फर्जियों के बीच में
सालों साल रहकर
ऐसे दीवाने को
किसने और कैसे
काम करने का
ठेका दे दिया गया
तहकीकात करने वाले
ने जब सारी बातों
का खुलासा किया
तमीज सीखने की
बस सलाह देकर
ऐक नेक आदमी को
काम से हमेशा
के लिये
हटा दिया गया
साथ में बता
दिया गया
बच गया
इतना ही किया गया
खुश्किस्मत था
आरोप कोई भी
लिख कर किसी
के द्वारा नहीं
दिया गया ।
बहुत ही
सुचारू रूप से
समय से पहले ही
पूरा हो जाने पर
साहब का पारा
सातवें आसमान
पर चला गया
तहकीकात करवाने
के लिये एक
खासम खास को
समझा दिया गया
पूछने को कहा गया
इतनी जल्दी
काम को बिना
सोचे समझे
किससे पूछ कर
पूरा करा लिया गया
रुपिया पैसा जबकि
जरूरत से ज्यादा
ही था दिया गया
बताना ही पढ़ेगा
आधे से ज्यादा
कैसे बचा कर
वापिस लौटा
दिया गया
पूछताछ करने पर
खासम खास ने
कुछ कुछ ऐसा
पता लगा लिया
रोज उसी काम को
सफाई से निपटा
ले जाने वाला
इस बार पत्नी के
बीमार हो जाने
के कारण मजबूरी
में छुट्टी पर
था चला गया
काम करवाना चूंकि
एक मजबूरी थी
एक नये आदमी को
काम पर इसलिये
लगा दिया गया
बेवकूफ था
दुनियादारी से
बेखबर था
ईमानदार था
कैसे निपटाना है
ऐसे काम को
किसी और से
राय लेने तक
पता नहीं
क्यों नहीं गया
हो ही जाना था
काम को इस बार
जैसे हुआ करता था
हमेशा ही वैसा
कुछ भी नहीं हुआ
फल लगा पेड़ पर
पका हुआ था
सब से देखा भी गया
बैचेनी बड़ी फैली
पूरे निकाय में
कहा गया झुंझलाहट में
ये सब जो भी हुआ
बहुत अच्छा नहीं हुआ
फर्जीवाड़ा नहीं कर
सकता हो
जो इतना भी
फर्जियों के बीच में
सालों साल रहकर
ऐसे दीवाने को
किसने और कैसे
काम करने का
ठेका दे दिया गया
तहकीकात करने वाले
ने जब सारी बातों
का खुलासा किया
तमीज सीखने की
बस सलाह देकर
ऐक नेक आदमी को
काम से हमेशा
के लिये
हटा दिया गया
साथ में बता
दिया गया
बच गया
इतना ही किया गया
खुश्किस्मत था
आरोप कोई भी
लिख कर किसी
के द्वारा नहीं
दिया गया ।
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय-
गोलमाल के बगैर काम कैसा ! सही कटाक्ष
जवाब देंहटाएंबेहतर पोस्ट आ० , सहमत , धन्यवाद
जवाब देंहटाएं॥ जय श्री हरि: ॥
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (05-01-2014) को तकलीफ जिंदगी है...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1483 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
करार व्यंग !
जवाब देंहटाएंनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
एक ज़बर्दस्त व्यंग्य.. बल्कि इसे व्यंग्य कहना ही गलत होगा यह तो यथार्थ है..!!
जवाब देंहटाएं