उलूक टाइम्स: आज कुछ नहीं है

शनिवार, 21 जुलाई 2012

आज कुछ नहीं है

आप
कुछ भी
कह कर
के देखो
वो उस पर
कुछ कुछ
कह ही
जाते हैं

कुछ
जनाब
कुछ भी
हो जाये
कुछ नहीं
कह कर
जाते हैं

कुछ को
हमेशा
कुछ ना
कुछ होता
रहता है

कुछ ने
देखा नहीं
कुछ कहीं
कुछ कुछ
होना उनको
शुरु होता है

कुछ हुआ
है या नहीं
कुछ को
कुछ तो
जरूर पता
होता है

जाकर
देखना
पड़ता है
कुछ इस
सब के लिये
कुछ ना कुछ
कुछ जगह
पक्का ही
लिखा होता है

कुछ नहीं
भी हो कहीं
तो भी
क्या होता है

कुछ हो
जाता है
अगर तब
भी कौन
सा कुछ
होता है

कुछ होने
या ना
होने से
कुछ
बहुत कुछ
कहने से
बच जाते है

कुछ
कहूंगा
पक्का
सोचते हैं
पर कुछ
कहने से
पहले ही
कुछ भ्रमित
हो जाते हैं

कुछ
आते हैं
कुछ
जाते है
कुछ
पढ़ते हैं
कुछ
लिखते हैं

कुछ
कुछ
भी नहीं
करते हैं

बस कुछ
करने
वालों
से कुछ
दुखी हो
जाते हैं

कुछ दिन
कुछ नहीं
करते हैं

कुछ  दिन
बाद फिर
कुछ कुछ
करना शुरू
हो जाते हैं ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ हो जाते लोग जब, कुछ समझा तब देश ।

    कुछ-कुछ ऐसा कहें वे, कुछ को लगती ठेस ।

    कुछ को लगती ठेस, आज कुछ नहीं लिखेंगे ।

    दिन में जाते सोय, रात भी नहीं दिखेंगे ।

    धन्य-धन्य उल्लूक, पुत्र दुबई से पूछा ।

    धांसू टिप्पण-कार, कौन आया यह छूछा ।।



    कल सुपुत्र आपके बारे में पूछ रहे थे --

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के  चर्चा मंच  पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  3. आपकी रचना में बहुत कुछ है ..
    सुंदर !

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  4. कुछ आते हैं
    कुछ जाते है
    कुछ पढ़ते हैं
    कुछ लिखते है
    कुछ कुछ भी
    नहीं करते हैं
    बस कुछ करने
    वालों से कुछ
    दुखी हो जाते हैं

    बहुत गहरे भाव लिए आपने ये रचना लिखी है.जो अपने आप में बहुत कुछ लिए हुए है.बस इसे समझने के लिए कुछ गौर करना पड़ता है.
    Best of Luck.



    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  5. कुछ भी नहीं पर बहुत कुछ --पढ़ने के बाद कुछ कुछ होता है -और न तो में कुछ कहूँगा न ही कुछ लिखूंगा क्योकि में उन कुछ में से कुछ नहीं |

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  6. कहने को कुछ है नहीं, फिर भी कुछ है खास।
    जोशी जी की पोस्ट में, मीठी तरल सुवास।।

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