आसमान से टूटता हुआ एक तारा
नीचे की ओर उतरता हुआ
जब दिखा है
जब दिखा है
गूंजे हैं कान में
किसी के कहे हुऐ कुछ शब्द
किसी के कहे हुऐ कुछ शब्द
तारे को टूटते हुऐ देखना बहुत अच्छा होता है
सोच लो मन ही मन कुछ
कभी ना कभी जरूर पूरा होता है
बहुत याद आती है उसकी और पड़ जाते हैं सोच
क्यों और किसलिये उसने ऐसा
हमेशा कहा होता है
हमेशा कहा होता है
तब दुनिया का एक सब से खूबसूरत चेहरा
सामने होता है
सामने होता है
पुराने दिनों की बात आ जाती है
अचानक याद
अचानक याद
बहुत से तारे टूटते हुऐ एक साथ
आसमान से गिरते हुऐ
फुलझड़ी की तरह
फुलझड़ी की तरह
देखे थे किसी एक रात
उसने और मैंने साथ साथ
उसने और मैंने साथ साथ
इतने सारे टूटते हुऐ तारे
जैसे बरसात हो गई हो
जैसे बरसात हो गई हो
जाहिर करनी है
मन ही मन कोई इच्छा भी इस समय
मन ही मन कोई इच्छा भी इस समय
जैसे याद ही नहीं रह गई हो
कब इतना समय आगे निकल गया
पता ही नहीं चला
पता ही नहीं चला
कल रात देख रहा था
आसमान की ओर
आसमान की ओर
एक टूटता हुआ तारा आ रहा था
जैसे जैसे नीचे की ओर
जैसे जैसे नीचे की ओर
मुझे याद आ रही थी
उसकी इच्छायें
उसकी इच्छायें
पता नहीं कितनी पूरी हुई होंगी
आज जब वो पास में नहीं है
जरूर कहीं ना कहीं से
तारे को टूटते हुऐ
जरूर देख रही होंगी
जरूर देख रही होंगी
क्योंकि मेरी इच्छायें
उस समय भी पूरी हो जाती थी
उस समय भी पूरी हो जाती थी
जब तारे के टूटते समय तुम पास खड़ी होती थी
आज भी पूरी होती है
तब भी
जब तुमको गये हुऐ भी बरसों हो गये
जब तुमको गये हुऐ भी बरसों हो गये
पता नहीं
कितनों की इच्छायें पूरी हो जाती हैं
कितनों की इच्छायें पूरी हो जाती हैं
एक माँ
जब भी तारे को टूटते देखती है
जब भी तारे को टूटते देखती है
आज भी माँ
जब भी कोई तारा टूटता है
जब भी कोई तारा टूटता है
मुझे कोई इच्छा नहीं याद आती है
उस समय बस और बस
मुझे तुम्हारी
बहुत याद आती है ।
चित्र साभार: https://sciencing.com/
बहुत याद आती है ।
चित्र साभार: https://sciencing.com/
बहुत भावनात्मक रचना. माँ की यादें तो हमेशा साथ रहती हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छा बांधा है भाव को तारा टूटने ,उलका और उलकापात९अनेक तारों का एक साथ टूटना ) के मार्फ़त। हर समाज की अपनी आस्थाएं इन आकाशीय पिंडों से जुडी रहीं हैं। कहीं भय मूलक कहीं आस का पल्लू थामे। हमारी माँ कहती थी -तारा टूटा है कोई मर गया -राम राम बोलो।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति जी सुशील कुमार जी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार को (19-11-2013) मंगलवारीय चर्चामंच---१४३४ ओमप्रकाश वाल्मीकि को विनम्र श्रद्धांजलि में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
टूटा तारा देख कर, माता के मन-प्राण |
जवाब देंहटाएंमांग रही हरदम यही, हो सबका कल्याण ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
जवाब देंहटाएंवाह!बेहद खूबसूरत,भावपूर्ण रचना है यह आदरणीय सर। आपकी यह रचना मुझे विशेष रूप से प्रिय है। माँ को याद करते हुए उनको यूँ पंक्तियाँ समर्पित करना मन को भाव विभोर कर गया।
जवाब देंहटाएंआँखें नम करने वाली बहुत भाव-पूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंहमारी ज़िंदगी में माँ तो तमाम तारे, चंदा और सूरज से भी ज़्यादा रौशनी भर देती है.