छोटी हो या बड़ी आफत
कभी बता कर नहीं आती है
कभी बता कर नहीं आती है
और समझदार लोग
हर चीज के लिये तैयार नजर आते है
आफत बाद में आती है
उससे पहले निपटने के हथियार लिये
हजूर दिख जाते हैं
जिनके लिये पूरी जिंदगी प्रायिकता का एक खेल हो
उनको किस चीज का डर
पासा फेंकते ही छ: हवा में ही ले आते है
जैसे सब कुछ बहुत आसान होता है
एक लूडो साँप सीढ़ी
या
शतरंज का कोई खेल
ऐसे में ही कभी कभी
खुद के अंदर एक डर सा बैठने लगता है
जैसे कोई
उससे उसके होने का सबूत मांगने लगता है
पता होता है
सबूत सच का कभी भी नहीं होता है
सबूत सच का कभी भी नहीं होता है
सबूतों से तो सच बनाया जाता है
कब कौन कहाँ किस हालत में
क्या करता हुआ
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बहुत से ज्योतिष हैं यहाँ
जिनको इस सबकी गणना करना
बहुत ही सफाई के साथ आता है
बस एक बात सब जगह
उभयनिष्ठ नजर आती है
जो किसी भी हालत में
एक रक्षा कवच
फंसे हुऐ के लिये बन जाती है
कहीं ना कहीं किसी ना किसी गिरोह से
जुड़ा होना हर मर्ज की एक दवा होता है
नहीं तो क्या जरूरत है
किसी सी सी टी वी के फुटेज की
जब कोई स्वीकार कर रहा हो अपना अपराध
बिना शर्म बिना किसी लिहाज
ऐसे में ही महसूस होता है
किसी गिरोह से ना जुड़ा होना
कितना दुख:दायी होता है
कभी भी कोई पूछ सकता है
तेरे होने या ना होने का सबूत
उससे पहले कि बने
तेरे लिये भी कहीं कोई ताबूत
सोच ले 'उलूक' अभी भी
है कोई सबूत कहीं
है कोई सबूत कहीं
कि तू है और सच में है
बेकार ही सही पर है यहीं कहीं
ताबूत में जाने के लिये भी
एक सबूत जरूरी होता है।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
ताबूत में जाने के लिये भी
एक सबूत जरूरी होता है।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
उपरोक्त बकवास पर भाई रविकर जी की टिप्पणी:
छोटा है ताबूत यह, पर सबूत मजबूत |
धन सम्पदा अकूत पर, द्वार खड़ा यमदूत |
द्वार खड़ा यमदूत, नहीं बच पाये काया |
कुल जीवन के पाप, आज दुर्दिन ले आया |
होजा तू तैयार, कर्म कर के अति खोटा |
पापी किन्तु करोड़, बिचारा रविकर छोटा ||
nc post sr
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बहुत सुंदर पोस्ट....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (29-11-2013) को स्वयं को ही उपहार बना लें (चर्चा -1446) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
छोटा है ताबूत यह, पर सबूत मजबूत |
जवाब देंहटाएंधन सम्पदा अकूत पर, द्वार खड़ा यमदूत |
द्वार खड़ा यमदूत, नहीं बच पाये काया |
कुल जीवन के पाप, आज दुर्दिन ले आया |
होजा तू तैयार, कर्म कर के अति खोटा |
पापी किन्तु करोड़, बिचारा रविकर छोटा ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
जवाब देंहटाएंप्रिय ब्लागर
जवाब देंहटाएंआपको जानकर अति हर्ष होगा कि एक नये ब्लाग संकलक / रीडर का शुभारंभ किया गया है और उसमें आपका ब्लाग भी शामिल किया गया है । कृपया एक बार जांच लें कि आपका ब्लाग सही श्रेणी में है अथवा नही और यदि आपके एक से ज्यादा ब्लाग हैं तो अन्य ब्लाग्स के बारे में वेबसाइट पर जाकर सूचना दे सकते हैं
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बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : कावड़ : लोकमन का उत्कृष्ट शिल्प