उलूक टाइम्स: बहुत हैं माचिस के डब्बे चिंता की बात नहीं आग पक्का लगेगी

मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

बहुत हैं माचिस के डब्बे चिंता की बात नहीं आग पक्का लगेगी

माचिस का एक
नया डिब्बा
कल गलती से
छूट गया
बाहर आँगन
की दीवार पर
और आज
उसका रंग
उतरा हुआ मिला
शायद ओस ने
या दिन की
तेज धूप ने
हो कुछ कह दिया
तीलियां उसी तरह
तरतीब से लगी हुई
महसूस हुआ
जो भी है आग है
कहीं ना कहीं
इस डब्बे में भी
और शायद
कुछ अंदर
भी कहीं
एक बहुत शाँत  
तीलियों से चिपकी
अनुशाशित
और
एक बिना धुऐं
और चिगारी के
आग होने की सोच
का ढोंग ओढ़े हुऐ
जहाँ बहुत से पागल
लगे हुऐ हैं
पागल बनाने में
जिनके पास
दिखाई देती है
मशाल बनाने
के लिये लकड़ी
पुराना कपड़ा
थोड़ा कैरोसिन
पानी मिला हुआ
और माचिस
ओस से भीग कर
तेज धूप में सुखाई हुई
सुलगने का एक
अहसास ही सही
तीलियाँ आग को
अपने में लपेटे हुऐ
कुछ भीगी कुछ सीली
पर आग तो आग है
कुछ ही दिन की
बस अब बात है
लगने वाली है आग
और उस आग में
सब भस्म हो जायेगा
आग की देवी या देवता
जो भी है कहीं सुना है
कोशिश कर रहा है
गीली तीलियों के
मसाले को सुखा कर
कुछ कुरकुरा बनाने
के जुगाड़ का 

उलूक तुझे कुछ 
नहीं करना है
तीली को रगड़ने
के लिये अगर कोई
माचिस का खाली
डब्बा माँगने  
आ जाये भूले भटके
धूप में सुखा के रखना है
बस एक माचिस का डब्बा ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. गजब..एक माचि‍स का डब्‍बा भी कि‍तने नए वि‍चार दे जाता है..

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  2. और शायद
    कुछ अंदर
    भी कहीं
    एक बहुत शाँत
    तीलियों से चिपकी
    अनुशाशित
    और
    एक बिना धुऐं
    और चिगारी के
    आग होने की सोच
    का ढोंग ओढ़े हुऐ
    जहाँ बहुत से पागल
    लगे हुऐ हैं

    बढ़िया प्रतीक -कथा बनी है एक भाव की :

    और शायद
    कुछ अंदर
    भी कहीं
    एक बहुत शाँत
    तीलियों से चिपकी
    अनुशाशित
    और
    एक बिना धुऐं
    और चिगारी के
    आग होने की सोच
    का ढोंग ओढ़े हुऐ
    जहाँ बहुत से पागल
    लगे हुऐ हैं

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (16-04-2014) को गिरिडीह लोकसभा में रविकर पीठासीन पदाधिकारी-चर्चा मंच 1584 में "अद्यतन लिंक" पर भी है।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. धूप में सुखा कर रखना
    सील गई डिब्बी
    तो समझो
    गई भैंस पानी में
    शुभ प्रभात
    सादर.....

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  5. चिंगारी तभी निकलेगी जब पानी सूख जाएगा ..!

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