कोई
नहीं लिखता है
अपना पता
अपने लिखे पर
शब्द
बहुत होते हैं
सबके पास
अलग बात है
शब्दों
की गिनती
नदी नालों में
नहीं होती है
लिखना
कोई
युद्ध नहीं होता है
ना ही
कोई
योजना परियोजना
लिखना
लिखाना
पढ़ना पढाना
लिखा
लाकर
समेटा
एक बड़े से
परदे पर
ला ला कर
सजाना
लिखना
प्रतियोगिता
भी नहीं होता है
लिखे पर
मान सम्मान
ईनाम
की
बात करने से
लिखने
का
आत्म सम्मान
ऊँचा
नहीं होता है
लिखा
लिखने वाले के
आस पास
हो रहे कुछ का
आईना
कतई
नहीं होता है
जो
लिखा होता है
उससे
होने ना होने
का
कोई सम्बंध
दूर दूर तक
नहीं होता है
सब
लिखते हैं
लिखना
सबको आता है
सबका
लिखा
सब कुछ
साफ साफ
लिखे लिखाये
की खुश्बू
दूर दूर तक
बता कर
फैलाता है
बात अलग है
अचानक
बीच में
मोमबत्तियाँ
लिखे लिखाये पर
हावी होना
शुरु हो जाती हैं
आग लिखना
कोई नयी बात
नहीं होती है
हर कोई
कुछ ना कुछ
किसी ना किसी
तरह से
जला कर
उसकी
रोशनी में
अपना चेहरा
दिखाना चाहता है
‘उलूक’
बेशरम है
उसको पता है
आईने में
सही चेहरा
कभी
नजर
नहीं आता है
इसलिये
वो खुद
अपनी
बकवास लेकर
अपनी
पहचान
के साथ
मैदान पर
उतर आता है |
चित्र साभार: http://clipart-library.com/
नहीं लिखता है
अपना पता
अपने लिखे पर
शब्द
बहुत होते हैं
सबके पास
अलग बात है
शब्दों
की गिनती
नदी नालों में
नहीं होती है
लिखना
कोई
युद्ध नहीं होता है
ना ही
कोई
योजना परियोजना
लिखना
लिखाना
पढ़ना पढाना
लिखा
लाकर
समेटा
एक बड़े से
परदे पर
ला ला कर
सजाना
लिखना
प्रतियोगिता
भी नहीं होता है
लिखे पर
मान सम्मान
ईनाम
की
बात करने से
लिखने
का
आत्म सम्मान
ऊँचा
नहीं होता है
लिखा
लिखने वाले के
आस पास
हो रहे कुछ का
आईना
कतई
नहीं होता है
जो
लिखा होता है
उससे
होने ना होने
का
कोई सम्बंध
दूर दूर तक
नहीं होता है
सब
लिखते हैं
लिखना
सबको आता है
सबका
लिखा
सब कुछ
साफ साफ
लिखे लिखाये
की खुश्बू
दूर दूर तक
बता कर
फैलाता है
बात अलग है
अचानक
बीच में
मोमबत्तियाँ
लिखे लिखाये पर
हावी होना
शुरु हो जाती हैं
आग लिखना
कोई नयी बात
नहीं होती है
हर कोई
कुछ ना कुछ
किसी ना किसी
तरह से
जला कर
उसकी
रोशनी में
अपना चेहरा
दिखाना चाहता है
‘उलूक’
बेशरम है
उसको पता है
आईने में
सही चेहरा
कभी
नजर
नहीं आता है
इसलिये
वो खुद
अपनी
बकवास लेकर
अपनी
पहचान
के साथ
मैदान पर
उतर आता है |
चित्र साभार: http://clipart-library.com/