उलूक टाइम्स: उसका जरूर पढ़ना पर लिखना खुद अपना

बुधवार, 11 सितंबर 2013

उसका जरूर पढ़ना पर लिखना खुद अपना

ये नया
आईडिया
तेरे दिमाग में
किसने आज
घुसा दिया

वैसे भी तू
कुछ बुरा
तो नहीं
दिखता है
कुछ अजीब
सा क्यों आज
तुझको बना दिया

किसी ने
कहा तुझसे
मोर पंख
अगर कहीं
पर एक
चिपकायेगा
तो कौऎ
से मोर तू
जरूर
हो जायेगा

कोई कुछ भी
लिख रहा हो
उससे क्या
हो जायेगा

तू बहुत अच्छी
बकबास
कर लेता है
उसकी तरह
लिखने को
अगर जायेगा

कैसे सोच
लिया तूने
कवि सम्मेलन
के निमंत्रण
पाना शुरु
हो जायेगा

बच
अगर अभी भी
बच सकता है

लिख वही
जो तू खुद
लिख सकता है

छंद अलंकार
व्याकरण को
बीच में लायेगा
जो है वो भी
नहीं रहेगा
जो बनेगा
उसको कोई
सरकस वाला
जरूर उठा
के ले जायेगा

ये लेखन
की दुनिया
बहुत बड़ी
भूलभुलईया है

इसमें ज्यादा
दिमाग अगर
लगायेगा

कहाँ घुस के
कहाँ
निकल आया
कोई पता भी
नहीं कर पायेगा

अभी जाना
जाता है
पहचाना
 जाता है
कुछ आदमी
जैसा है
आदमियों
के बीच में
ये भी
माना जाता है

जैसा है
वैसा ही रहेगा
कुछ पायेगा
नहीं भी तो भी
ज्यादा कुछ
नहीं गवांऎगा

बंदर गुलाटियाँ
मारता हुआ ही
अच्छा लगता है

खुद सोच
कैसा दिखेगा
अगर कहीं वो
दो टांगो पर
चलता हुआ
देखा जायेगा

तू क्या
समझता है
जो जैसा
लिखता है
वो वैसा ही
दिखता है
बहुत से हैं
मेरी तरह
के बेईमान
यहाँ पर
जिनका ब्लाग
ईमानदार
ब्लाग के
नाम से
चलता है

 देखा देखी
और
भीड़ तंत्र के
जादू से निकल
कोशिश कर
और
अपनी टांगों
में ही चल
ऎसा ना हो
कहीं सब कुछ
तेरे हाथ
से जाये
कहीं निकल
अपनी टाँग
भी करे
चलने से
इनकार
और
बैसाखी जाये
हाथों से
दूर फिसल

बहुत कुछ है
जो तेरे पास है
और
तेरा अपना है
सामने वाले
के पास
दिख रहा
ताजमहल
खुद उसी
के लिये
एक सपना है

अपनी सुन्दर
झोपड़ी को
सबको दिखा
खूब जम
के इतरा
सब के लिखे
को पढ़ जरूर
किसी ने
नहीं रोका है
अपनी
बक बक को
बक बक
ही रहने दे
कविता को
बस एक
पाजामा
पहनाने से
ही तो
तुझे टोका है ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. लिख वही जो तू
    खुद लिख सकता है
    छंद अलंकार व्याकरण
    को बीच में लायेगा
    जो है वो भी नहीं रहेगा
    बहुत सटीक .अपनी अलग पहचान होनो चाहिए . किसी की नक़ल नहीं
    latest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (12-09-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 114" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

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  3. अत्यन्त हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ कि
    आपकी इस बेहतरीन रचना की चर्चा शुक्रवार 13-09-2013 के .....महामंत्र क्रमांक तीन - इसे 'माइक्रो कविता' के नाम से जानाःचर्चा मंच 1368 ....शुक्रवारीय अंक.... पर भी होगी!
    सादर...!

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  4. बेह्तरीन अभिव्यक्ति …!!गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.
    कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन

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  5. बहुत कुछ है
    जो तेरे पास है
    और तेरा अपना है ...बहित सही और सटीक कहा है आप ने सुशील जी

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