फिर याद आया
बनाया हुआ
आदमी के खुद
का एक दिन
खुद के लिये ही
जब शुरु होता है
उसका भूलना
सब कुछ
यहाँ तक
खुद को भी
उम्र का
चौथा पड़ाव
और उसके
अनुभव
कुछ के
लिये कड़वे
कुछ के लिये
खट्टे और मीठे
बचपन से ही
शुरु हो जाती है
एक पाठशाला
घर के अंदर ही
तैयार करते हुऐ
दिखाई दे जाते हैं
कई किसान
कई तरह के
खेतों को
बोते हुऐ
किस्म किस्म
के पौंधे
पता नहीं
चल पाता है
कौन आम का है
कौन बबूल का
और जब तक
इस सब को
समझने लायक
होने लगता है
एक आदमी
उसके सामने
भी होते हैं
कई तरह खेत
बुवाई के
लिये तैयार
उसकी खुद की
अगली पीढ़ी के
उसको दिये
अनुभव यहीं
पर काम आना
शुरु हो जाते हैं
किसी को फल वाले
पेड़ पसंद आते हैं
किसी की सोच में
कांटे उलझना
शुरु हो जाते हैं
घर से लेकर
ओल्ड ऐज होम्स
तक एक मोमबत्ती
दिखाने को ही सही
प्यार से फिर भी
आज के दिन अब
सब जलाना चाहते हैं
खुशकिस्मत होते हैं
कुछ लोग जो
चौथी पीड़ी के साथ
एक लम्बे समय
तक रह पाते हैं
भाग्यहीन लोग
खुद ही अपने लिये
एक ऐसे रास्ते
को बनाते हैं
जिस रास्ते
चौथी पीढ़ी को
छोड़ कर आते हैं
उसी रास्ते से
जाने को मजबूर
किये जाते हैं
एक परंपरा को
भूल कर हमेशा
हम क्यों साल
का एक दिन
उसके लिये
निर्धारित
करना
चाहते हैं
अंतर्राष्ट्रीय
बुजुर्ग दिवस
पर आज बस
इतना ही तो
समझना
चाहते हैं ।
बनाया हुआ
आदमी के खुद
का एक दिन
खुद के लिये ही
जब शुरु होता है
उसका भूलना
सब कुछ
यहाँ तक
खुद को भी
उम्र का
चौथा पड़ाव
और उसके
अनुभव
कुछ के
लिये कड़वे
कुछ के लिये
खट्टे और मीठे
बचपन से ही
शुरु हो जाती है
एक पाठशाला
घर के अंदर ही
तैयार करते हुऐ
दिखाई दे जाते हैं
कई किसान
कई तरह के
खेतों को
बोते हुऐ
किस्म किस्म
के पौंधे
पता नहीं
चल पाता है
कौन आम का है
कौन बबूल का
और जब तक
इस सब को
समझने लायक
होने लगता है
एक आदमी
उसके सामने
भी होते हैं
कई तरह खेत
बुवाई के
लिये तैयार
उसकी खुद की
अगली पीढ़ी के
उसको दिये
अनुभव यहीं
पर काम आना
शुरु हो जाते हैं
किसी को फल वाले
पेड़ पसंद आते हैं
किसी की सोच में
कांटे उलझना
शुरु हो जाते हैं
घर से लेकर
ओल्ड ऐज होम्स
तक एक मोमबत्ती
दिखाने को ही सही
प्यार से फिर भी
आज के दिन अब
सब जलाना चाहते हैं
खुशकिस्मत होते हैं
कुछ लोग जो
चौथी पीड़ी के साथ
एक लम्बे समय
तक रह पाते हैं
भाग्यहीन लोग
खुद ही अपने लिये
एक ऐसे रास्ते
को बनाते हैं
जिस रास्ते
चौथी पीढ़ी को
छोड़ कर आते हैं
उसी रास्ते से
जाने को मजबूर
किये जाते हैं
एक परंपरा को
भूल कर हमेशा
हम क्यों साल
का एक दिन
उसके लिये
निर्धारित
करना
चाहते हैं
अंतर्राष्ट्रीय
बुजुर्ग दिवस
पर आज बस
इतना ही तो
समझना
चाहते हैं ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - बुधवार - 2/10/2013 को
जवाब देंहटाएंजो जनता के लिए लिखेगा, वही इतिहास में बना रहेगा- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः28 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
मित्र ! गान्धी जयन्ती /लाल बहादुर शास्त्री-जयंती की अग्रिम वधाई हम बढ़ाएँ एक क़दम
जवाब देंहटाएंस्वस्थ 'गान्धी-वाद' की ओर !
अथ आप कीयहव्यंग्य- रचना सारगर्भित और रोचक है !
बिल्कुल सही कहा.. सुन्दर प्रस्तुति.. आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (02-10-2013) नमो नमो का मन्त्र, जपें क्यूंकि बरबंडे - -चर्चा मंच 1386 में "मयंक का कोना" पर भी है!
महात्मा गांधी और पं. लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धापूर्वक नमन।
दो अक्टूबर की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
मेरा फोटो भी है चर्चा मंच पर इस प्रस्तुति के साथ-
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान