सच को बस छोड़कर
सब कुछ चलता हुआ दिखाई देता है
सच सबके पास होता है
जेब में कमीज और पेंट की
हाथ में कापी और किताब में
एक के सच से दूसरे को
कोई मतलब नहीं होता है
अपने अपने सच होते हैं
सब का आकार अलग होता है
सच किसी के पैर की चप्पल या जूता होता है
एक का सच
दूसरे के काम का नहीं होता है
कोई किसी के सच के बारे में
किसी से कुछ नहीं कहता है
हाँ झूठ बहुत ही मजेदार होता है
सब बात करते हैं झूठ की
झूठ का आकार नहीं होता है
एक का झूठ दूसरे के भी
बहुत काम का होता है
पर किसी को पता नहीं होता है
झूठ कहाँ होता है
सूचना का अधिकार
झूठ को ढूंढने का ही हथियार होता है
सबसे ज्यादा चलता हुआ
वही दिख रहा होता है
सच
बेवकूफ
बेवकूफ
मैं सच हूं सोच सोच कर
एक जगह ही बैठा होता है
जहाँ पहुचने की कोई सोच भी नहीं सकता है
झूठ वहाँ जरूर पहले से ही पहुंचा होता है
झूठ के पैर नहीं होते है
'उलूक'
बहकाने के लिये ही
बहकाने के लिये ही
शायद यूँ ही कह दिया होता है ।
चित्र साभार: https://www.megapixl.com/
बहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन शहीद जतिन नाथ दास और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (28-10-2013)
संतान के लिए गुज़ारिश : चर्चामंच 1412 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और लक्ष्मी पूजन
नई पोस्ट : कोई बात कहो तुम
Khoobsoorat vinyaas.. SUNDAR ABHIVYAKTI..
जवाब देंहटाएंपिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
जवाब देंहटाएंकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (1) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
शब्द नहीं हैं
हटाएंबस एक
आभार है
कई बार है
बार बार है !
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाकई ! बिलकुल सही लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंसच बेवकूफ
मैं सच हूं सोच सोच कर
एक जगह ही बैठा रह जाता है
जहाँ पहुचने की कोई
सोच भी नहीं सकता
झूठ जरूर पहुंच जाता है
झूठ के पैर नहीं होते है
अत्यंत प्रभावशाली एवँ सशक्त रचना !