अगला
आदमी भी
कितना
परेशान है
अपनी
एक पहचान
बनाने की
कोशिश में
हो रहा
हलकान है
बगल वाला
है तो
उसका ही जैसा
कुछ भी
नहीं है
थोड़ा सा भी
कहीं कुछ
अलग अलग सा
दिखता भी
नहीं है
करता हुआ
कुछ
अजब गजब सा
समझ में
नहीं आता
हर गली
हर मौहल्ले में
हो रहा फिर भी
उसका ही नाम है
अखबार
रेडियो टी वी
वालों से बनाई
अगले ने
पहचान है
हजार जतन
कर कराने
के बाद भी
कोई
क्यों नही देता
ऐसे शख्स की तरफ
थोड़ा सा भी ध्यान है
सभी तो
सब कुछ
करने में लगे हुऐ हैं
बस अपने
लिये ही तो
यहां या वहां
होना है
किसी और
के लिये
नहीं जब
कुछ इंतजाम है
इसे मिलता है
उसे मिलता है
अगले
को ही बस
क्यों नहीं मिलता
कुछ सम्मान है
किसी का
नाम होने से
किसी को हो रहा
बहुत नुकसान है
कोई करे
कुछ तो
उसके लिये कभी
इसकी
और उसकी
हो रही पहचान से
किसी की सांसत में
देखो फंस रही जान है ।
आदमी भी
कितना
परेशान है
अपनी
एक पहचान
बनाने की
कोशिश में
हो रहा
हलकान है
बगल वाला
है तो
उसका ही जैसा
कुछ भी
नहीं है
थोड़ा सा भी
कहीं कुछ
अलग अलग सा
दिखता भी
नहीं है
करता हुआ
कुछ
अजब गजब सा
समझ में
नहीं आता
हर गली
हर मौहल्ले में
हो रहा फिर भी
उसका ही नाम है
अखबार
रेडियो टी वी
वालों से बनाई
अगले ने
पहचान है
हजार जतन
कर कराने
के बाद भी
कोई
क्यों नही देता
ऐसे शख्स की तरफ
थोड़ा सा भी ध्यान है
सभी तो
सब कुछ
करने में लगे हुऐ हैं
बस अपने
लिये ही तो
यहां या वहां
होना है
किसी और
के लिये
नहीं जब
कुछ इंतजाम है
इसे मिलता है
उसे मिलता है
अगले
को ही बस
क्यों नहीं मिलता
कुछ सम्मान है
किसी का
नाम होने से
किसी को हो रहा
बहुत नुकसान है
कोई करे
कुछ तो
उसके लिये कभी
इसकी
और उसकी
हो रही पहचान से
किसी की सांसत में
देखो फंस रही जान है ।
sahi bat ....samay samay ki bat hai ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (21-10-2013)
पिया से गुज़ारिश :चर्चामंच 1405 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-22/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -32 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा