दो टांगों पर
चलता चला जाऊं अपनी ही
चलता चला जाऊं अपनी ही
जिंदगी भर
ऐसा सोचना तो
समझ में थोड़ा थोड़ा आता है
ऐसा सोचना तो
समझ में थोड़ा थोड़ा आता है
सर के बल चल कर
किसी के पास पहुंचने की
किसी की अपेक्षा को
कैसे पूरा किया जाता है
पता कहां चल पाती हैं
किसी की अपेक्षाऐं
जब अपेक्षाऐं रखना अपेक्षाऐं बताना
कभी नहीं हो पाता है
कभी नहीं हो पाता है
अपने से जो होना संभव कभी नहीं हो पाता है
वही सब कुछ
किसी से करवाने की अपेक्षा रखते हुऐ
आदमी दुनियां से विदा भी हो जाता है
पर अपेक्षा भी कितनी कितनी
अजीब से अजीब कर सकता है सामने वाला
ऐसा किसी
किताब में लिखा हुआ भी नहीं बताया जाता है
इधर आदमी
तैयार कर रहा होता है अपने आप को
किसी का गधा बनाने की
किसी का गधा बनाने की
उधर अगला सोच रहा होता है
आदमी के शरीर में बाल उगा कर
उसे भालू बनाने की
उसे भालू बनाने की
क्या करे कोई बेचारा
किसी को किसी की अपेक्षाओं का सपना
जब नहीं आता है
जब नहीं आता है
अपेक्षाऐं
किसी से रखने का मोह
कभी कोई त्याग ही नहीं पाता है
अपेक्षाऐं होती हैं अपेक्षाऐं रह जाती हैं
हमेशा अपेक्षाऐं रखने वाला
बस खीजता है खुद अपने पर झल्लाता है
ज्यादा से ज्यादा
क्या कर सकता है कर पाता है
दो घूंट के बाद
दीवारों पर अपने ही घर की कुछ
दीवारों पर अपने ही घर की कुछ
कुछ गालियां लिख ले जाता है
सुबह होते होते उसे भी मगर भूल जाता है
और अपेक्षाओं के पेड़ को अपने ही
फिर से सींचना
अपेक्षाओं से शुरु हो जाता है ।
सुंदर रचना के लिये ब्लौग प्रसारण की ओर से शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंआप की ये खूबसूरत रचना आने वाले शनीवार यानी 19/10/2013 को ब्लौग प्रसारण पर भी लिंक की गयी है...
सूचनार्थ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-10-2013) "शरदपूर्णिमा आ गयी" (चर्चा मंचःअंक-1403) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर ...नमस्ते भैया
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
बहुत खूब लिखा है आपने |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आदरणीय
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