कई बार
बहुत सारे
विषय
हो जाते हैं
लिखने
लिखने तक
सारे के
सारे ही
भूले जाते हैं
सोच ही
रहा था
आज उनमें
से किस पर
अच्छा सा कुछ
लिखा जायेगा
किसे
मालूम था
कुत्ता
आज ही
कहीं से
मार खा
कर चला
आयेगा
जानता था
विज्ञान को
समझना
बहुत मुश्किल
नहीं कभी
हो पायेगा
पता नहीं था
आस पास का
मनोविज्ञान ही
हमेशा
कुछ यूं
घुमायेगा
और एक
अजीब सा
इत्तेफाक
ये हो जायेगा
डाकिया
जितनी बार
अच्छी खबर
का एक
पोस्टकार्ड
ला कर
घर पर
दे जायेगा
शुभकामनाओं
की उम्मीद
किसी से ऐसे में
कोई कैसे
कर पायेगा
जब
हर अच्छी
खबर के बाद
किसी के
घर का
कुत्ता
हमेशा ही
मार
कहीं से खा
कर चला
आयेगा ।
बहुत सारे
विषय
हो जाते हैं
लिखने
लिखने तक
सारे के
सारे ही
भूले जाते हैं
सोच ही
रहा था
आज उनमें
से किस पर
अच्छा सा कुछ
लिखा जायेगा
किसे
मालूम था
कुत्ता
आज ही
कहीं से
मार खा
कर चला
आयेगा
जानता था
विज्ञान को
समझना
बहुत मुश्किल
नहीं कभी
हो पायेगा
पता नहीं था
आस पास का
मनोविज्ञान ही
हमेशा
कुछ यूं
घुमायेगा
और एक
अजीब सा
इत्तेफाक
ये हो जायेगा
डाकिया
जितनी बार
अच्छी खबर
का एक
पोस्टकार्ड
ला कर
घर पर
दे जायेगा
शुभकामनाओं
की उम्मीद
किसी से ऐसे में
कोई कैसे
कर पायेगा
जब
हर अच्छी
खबर के बाद
किसी के
घर का
कुत्ता
हमेशा ही
मार
कहीं से खा
कर चला
आयेगा ।
हम देते हैं आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ बहुत ही जगमग दीपावली के लिये। थोडी तो मिढाी कुत्ते के हिस्से भी आनी चाहिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंजिसने इसे पत्थर बनाया...
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंnc post sr
जवाब देंहटाएंkavita bahut tah me jaa kar kah rahi hai
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-31/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -37 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-10-2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
धन्यवाद
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट हम-तुम अकेले
लिखने को कितना पड़ा, लेकिन जाता भूल।
जवाब देंहटाएंअपनी कलम चलाइए, मौसम है अनुकूल।।