एक शक्ल एक सूरत
एक बनावट एक अक्ल
एक आदमी के लिये एक
दूसरे के लिये अलग
खेलते कूदते फांदते
बच्चे पर अलग अलग
एक गुब्बारे का झुंड
कहां होते है किसके होते हैं
कोई परवाह नहीं करता है
सब कुछ अलग अलग
होकर भी एक होता है
एक ही झुंड की
रंग बिरंगी तितलियां
उड़ते उड़ते कब
ओझल हो जाती हैं
अंदाज नहीं आता
पेड़ पौंधें हो जाती हैं
कौन परवाह करता है
सब परवाह करते हैं
आदमी और उसके झुंड की
आदमी कैसा भी हो
झुंड के साथ हो तो
खुद झुंड हो जाता है
अलग अलग होते हुऐ भी
हर कोई देखने में तक
एक सा नजर आना
शुरू हो जाता है
एक तजुर्बेकार
इसी बात को लेकर
एक उदाहरण अपने ही
घर का दे जाता है
गौर करियेगा एक लम्बे
समय के साथ के बाद
पति भी पत्नी का भाई
नजर आने लग जाता है
जैसे जोकर जोकर के
लिये मरा जाता है
या इक्का इक्के पै
चढ़ता चला जाता है
इतनी सी बात समझने में
कोई क्यों फालतू का
दिमाग लगाता है
एक बेवकूफ बेवकूफों के
साथ ही जाकर पंजा लड़ाता है
गधों के बीच रहकर तो
देखिये कभी कुछ दिन
अच्छा लगेगा देख कर
जब देखोगे कुछ समय बाद
हर गधे में एक
आदमी नजर आता है ।
एक बनावट एक अक्ल
एक आदमी के लिये एक
दूसरे के लिये अलग
खेलते कूदते फांदते
बच्चे पर अलग अलग
एक गुब्बारे का झुंड
कहां होते है किसके होते हैं
कोई परवाह नहीं करता है
सब कुछ अलग अलग
होकर भी एक होता है
एक ही झुंड की
रंग बिरंगी तितलियां
उड़ते उड़ते कब
ओझल हो जाती हैं
अंदाज नहीं आता
पेड़ पौंधें हो जाती हैं
कौन परवाह करता है
सब परवाह करते हैं
आदमी और उसके झुंड की
आदमी कैसा भी हो
झुंड के साथ हो तो
खुद झुंड हो जाता है
अलग अलग होते हुऐ भी
हर कोई देखने में तक
एक सा नजर आना
शुरू हो जाता है
एक तजुर्बेकार
इसी बात को लेकर
एक उदाहरण अपने ही
घर का दे जाता है
गौर करियेगा एक लम्बे
समय के साथ के बाद
पति भी पत्नी का भाई
नजर आने लग जाता है
जैसे जोकर जोकर के
लिये मरा जाता है
या इक्का इक्के पै
चढ़ता चला जाता है
इतनी सी बात समझने में
कोई क्यों फालतू का
दिमाग लगाता है
एक बेवकूफ बेवकूफों के
साथ ही जाकर पंजा लड़ाता है
गधों के बीच रहकर तो
देखिये कभी कुछ दिन
अच्छा लगेगा देख कर
जब देखोगे कुछ समय बाद
हर गधे में एक
आदमी नजर आता है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-10-2013) "ईदुलजुहा बहुत बहुत शुभकामनाएँ" (चर्चा मंचःअंक-1400) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहतरीन सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
आज की बुलेटिन हैप्पी बर्थडे कलाम चाचा में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंयह सही रहा :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-17/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -26 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....
badhiya ktaksh ..
जवाब देंहटाएंगधों के बीच रहकर तो
देखिये कभी कुछ दिन
अच्छा लगेगा देख कर
जब देखोगे कुछ समय बाद
हर गधे में एक
आदमी नजर आता है !
बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंlatest post महिषासुर बध (भाग २ )