हर साल ही तो हम
बुराई पर अच्छाई की
विजय का पर्व मनाते हैं
ऐक दिन के खेल के लिये
तेरा ही नहीं तेरे पूरे
खानदान के पुतले
हम बनाते हैं
साल दर साल
मैंदानो और सड़को पर
तेरा मजमा हम लगाते हैं
राम के हाथों आज के
दिन मारे गये रावण
विजया दशमी के दिन
हमें खुद पता नहीं होता है
कि हम क्या जलाते हैं
कितनी बार जल चुका है
अभी तक नहीं जल सका है
जिंदा रखने के लिये ही
उस चीज को हम
एक बार फिर जलाते हैं
आज के दिन को एक
यादगार दिन बनाते हैं
राम के हाथों हुआ था
खत्म रावण या रावणत्व
इतनी समझ आने में
तो युग बीत जाते हैं
शिव के लिये रावण की
अगाध श्रद्धा और उसके
लिखे शिव तांडव स्त्रोत्र की
बात किसी को कहाँ बताते हैं
किस्से कहाँनियों तक
रहती हैं बातें जब तक
सभी लुफ्त उठाने से
बाज नहीं आते हैं
पुतले जलाने वाले ही
पुतले जलाने के बाद
खुद पुतले हो जाते हैं
रावण की सेना होती है
उसी के हथियार होते हैं
सेनापति की जगह पर
राम की फोटो लगा कर
अपना काम चलाते हैं
बहुत कर लेते हैं जब
कत्लेआम उल्टे काम
माहौल बदलने के लिये
एक दिन पुतले जलाते हैं
रावण तेरी अच्छाईयां
कहीं समझ ना आ जायें
किसी को कभी यहां पर
आज भी राम को
आगे कर हम खुद
पीछे से तीर चलाते हैं ।
बुराई पर अच्छाई की
विजय का पर्व मनाते हैं
ऐक दिन के खेल के लिये
तेरा ही नहीं तेरे पूरे
खानदान के पुतले
हम बनाते हैं
साल दर साल
मैंदानो और सड़को पर
तेरा मजमा हम लगाते हैं
राम के हाथों आज के
दिन मारे गये रावण
विजया दशमी के दिन
हमें खुद पता नहीं होता है
कि हम क्या जलाते हैं
कितनी बार जल चुका है
अभी तक नहीं जल सका है
जिंदा रखने के लिये ही
उस चीज को हम
एक बार फिर जलाते हैं
आज के दिन को एक
यादगार दिन बनाते हैं
राम के हाथों हुआ था
खत्म रावण या रावणत्व
इतनी समझ आने में
तो युग बीत जाते हैं
शिव के लिये रावण की
अगाध श्रद्धा और उसके
लिखे शिव तांडव स्त्रोत्र की
बात किसी को कहाँ बताते हैं
किस्से कहाँनियों तक
रहती हैं बातें जब तक
सभी लुफ्त उठाने से
बाज नहीं आते हैं
पुतले जलाने वाले ही
पुतले जलाने के बाद
खुद पुतले हो जाते हैं
रावण की सेना होती है
उसी के हथियार होते हैं
सेनापति की जगह पर
राम की फोटो लगा कर
अपना काम चलाते हैं
बहुत कर लेते हैं जब
कत्लेआम उल्टे काम
माहौल बदलने के लिये
एक दिन पुतले जलाते हैं
रावण तेरी अच्छाईयां
कहीं समझ ना आ जायें
किसी को कभी यहां पर
आज भी राम को
आगे कर हम खुद
पीछे से तीर चलाते हैं ।
बहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-15/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -25 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
बहुत सुन्दर ...नमस्ते भैया
जवाब देंहटाएंपुतले तो जल गए, रावण जिंदा रह गया।
जवाब देंहटाएंदेख कर हाल आदमी का,राम शर्मिंदा रह गया।।
बेहतरीन सुंदर रचना !
विजयादशमी की शुभकामनाए...!
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
रावण हर साल जलता है ,उसका पुतल तो जल जाता है परन्तु उसकी आत्मा जलाने वालों में जिन्दा रहती है
जवाब देंहटाएंअभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (15-10-2013) "रावण जिंदा रह गया..!" (मंगलवासरीय चर्चाःअंक1399) में "मयंक का कोना" पर भी है!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत बहुत सुंदर आप को शत-शत प्रणाम
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