नदी के दो किनारों की धाराऐं
किसी एक को अपनायें
सोचें कुछ नहीं
बस आत्मसात करें और फैलायें
लोगों को अनुयायी बनायें
सबको बतायें
किनारे कभी मिलते नहीं
किनारे किनारे तैरें तो कभी डूबते नहीं
संभव नहीं
इस किनारे वाले उस किनारे पर चले जायें
अवसर होती हैं
नदी के बीच बह रही धाराऐं
जब भी कभी नजर आयें किसी को ना बतायें
खुद डुबकी लगायें
बस ध्यान रहे इतना
किसी भी अनुयायी को इसकी भनक ना हो पाये
संगम होता दिखे किनारे किनारे चलते चलते
कभी दो नदियों का रुक जायें मनन करें
खोज करने से पहले परहेज करना होता है
बेहतर के फलसफे को अपनायें
बेहतर के फलसफे को अपनायें
इससे पहले अनुयायिओं को दिखे
दो किनारों का जुड़ना
और
विचारधाराओं का मिलना
सबका ध्यान बटायें
एक महाकुंभ करवाने का जुगाड़ लगवायें
अवसरों के संगम को जाने ना दें भुनायें
खुद किनारे को छोड़ कर
संगम करती नदियों के बीच में
डुबकियां लगायें
विचारधारायें
नदी के दो किनारों की धारायें
संभव नहीं होता है मिलन जिनका कभी
अनुयायियों को समझाते
यही बस चले जायें
आ ही गया किसी के समझ में थोड़ा बहुत
कभी ना घबरायें
किनारे पर ना रहने दें
अपने साथ डुबकी लगाने नदी के बीच
उसे भी लेते चले जायें ।
चित्र साभार:
चित्र साभार:
https://mark-borg.github.io/blog/2016/river-crossing-puzzles/
सेकुलर साम्प्रदायिक सही, बन जाओ तुम एक |
जवाब देंहटाएंडुबो जा मझधार में, देंगे नहिं तो फेंक ||
बढ़िया-
आभार भाई जी-
Excellent
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (04-10-2013) को " लोग जान जायेंगे (चर्चा -1388)
जवाब देंहटाएं" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
वाह...
जवाब देंहटाएंअवसर होती हैं नदी के
बीच बह रही धाराऐं
जब भी कभी नजर आयें
किसी को ना बतायें
खुद डुबकी लगायें
बहुत बढ़िया!!!
सादर
अनु
नदी के दो तट ना होंगे तो नदी ही ना होगी। मजहब नही सिखाता आपस में बैर रखना.
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