शीशे के घर में बैठ कर 
आसान है बयां करना उस पार का धुंआ
आसान है बयां करना उस पार का धुंआ
खुद में लगी आग 
कहां नजर आती है आईने के सामने भी तभी
 कहां नजर आती है आईने के सामने भी तभी
बेफ़िक्र लिखता है 
सारे शहर के घोड़ों के खुरों के निशां लाजवाब
सारे शहर के घोड़ों के खुरों के निशां लाजवाब
अपनी फटी आंते और खून से सनी सोच 
खोदनी भी क्यों है कभी
 खोदनी भी क्यों है कभी
हर जर्रा सुकूं है 
महसूस करने की जरूरत है लिखा है किताब में भी
महसूस करने की जरूरत है लिखा है किताब में भी
सब कुछ ला कर बिखेर दे सड़क में 
गली के उठा कर हिजाब सभी
 गली के उठा कर हिजाब सभी
पलकें ही बंद नहीं होती हैं कभी 
पर्दा उठा रहता हैं हमेशा आँखों से
पर्दा उठा रहता हैं हमेशा आँखों से
रात के अँधेरे में से अँधेरा भी छान लेता है 
क़यामत है आज का कवि
 क़यामत है आज का कवि
कौन अपनी लिखे बिवाइयां 
और आंखिर लिखे भी क्यों बतानी क्यों है
और आंखिर लिखे भी क्यों बतानी क्यों है
सारी दुनियां के फटे में टांग अड़ा कर 
और फाड़ बने एक कहानी अभी
 और फाड़ बने एक कहानी अभी
‘उलूक’ तूने करनी है बस बकवास 
और बकवास इतिहास नहीं होता है कभी
और बकवास इतिहास नहीं होता है कभी
कभी भेड़ों में शामिल हो कर के देख 
कैसे करता है कुत्ता रखवाली बन कर नबी
 कैसे करता है कुत्ता रखवाली बन कर नबी
नबी = ईश्वर का गुणगान करनेवाला, ईश्वर की शिक्षा तथा उसके आदेर्शों का उद्घोषक।
 चित्र साभार:  https://www.istockphoto.com/
 

 
 






