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सोमवार, 19 मई 2014

सब कुछ लिख लेने का कलेजा सब के हिस्से में नहीं आ सकता है

सब कुछ
साफ साफ
लिख देने
के लिये
किसी को
मजबूर नहीं
किया जा
सकता है

सब कुछ
वैसे भी
लिखा भी
नहीं जा
सकता है

इतना तो
एक अनपढ़
की समझ में
तक आ
सकता है

सब कुछ
लिख लेने
का बस
सोचा ही
जा सकता है

कुछ
कुछ पूरा
लिखने की
कोशिश
करने वाला

पूरा लिखने
से पहले ही
इस दुनियाँ
से बहुत दूर भी
जा सकता है

सब कुछ
लिख देने
की कोशिश
करने में
आपदा भी
आ सकती है

साल
दो साल नहीं
सदियाँ भी
पन्नों में
समा सकती हैं

नदियाँ
समुद्र तक
जा कर
लौट कर
भी आ
सकती हैं

सब कुछ
सब लोग
नहीं लिख
सकते हैं

उतना ही
कुछ लिख
सकते हैं
उतना ही
कुछ बता
सकते हैं

जितने को
लिखने या
बताने में
कुछ
ना कुछ
पी खा
सकते हैं

कुछ
आने वाली
पीढ़ियों
के लिये
बचा सकते हैं

सब कुछ
लिख
देने वाला
अच्छी तरह
से जानता है

बाहर के
ही नहीं
अंदर के
कपड़े भी
फाड़े या
उतारे जा
सकते हैं

हमाम में
कोई भी
कभी भी
आ जा
सकता है

नहाना चाहे
नहा सकता है
डुबकी लगाने
की भी मनाही
नहीं होती है

डुबकी
एक नहीं
बहुत सारी भी
लगा सकता है

साथ
किसी के
मिलकर
करना हो
कुछ भी
किसी भी
सीमा तक
कर करा
सकता है

किसी
अकेले का
सब कुछ
किये हुऐ
की बात
शुरु करने
से ही
शुरु होना
शुरु होती है
परेशानियाँ

सब कुछ
लिखने
लिखाने की
हिम्मत करने
वाले का कुछ
या
बहुत कुछ
नहीं
सब कुछ भी
भाड़ में
जा सकता है

‘उलूक’
कुछ कुछ
लिखता रह
पंख नुचवाता रह

सब कुछ
लिखने का
जोखिम
तू भी नहीं
उठा सकता है

अभी
तेरी उड़ान
रोकने की
कोशिश
से ही
काम चल
जाता है
जिनका

तेरे
सब कुछ
लिख देने से
उनका हाथ
तेरी गरदन
मरोड़ने के
लिये भी
आ सकता है ।

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

जो होना होता है वही हो रहा होता है

कोई भी तो
कुछ नहीं कह
रहा होता है
फिर भी किसी
को कैसे ये लग
रहा होता है
हर समय
कहीं ना कहीं
कुछ ना कुछ
हो रहा होता है
खाना पकता है
खुश्बू आती है
पता चलता है
प्रेशर कूकर हुआ
तो सीटी दे देता है
तेरा कुछ नहीं
हो सकता है
बिना बात के
एक बात की
सौ बात
कर देता है
कई तरह की
बीमारियाँ होती हैं
कई तरह के
बीमार होते हैं
कोशिश की जाती है
इलाज भी होता है
सारे मरीज
मर ही जो
क्या जाते हैं
कुछ की बीमारियों
को डाक्टर ठीक
भी कर देता है
तेरा कुछ नहीं
हो सकता है
तू दवाई की
पर्चियों के ऊपर
भी कुछ ना कुछ
लिख देता है
कहीं भी कुछ
भी नहीं हो
रहा होता है
कोई भी संकेत
नहीं होता है
कुछ तेरे जैसे
लोगों को बस
एक वहम हो
रहा होता है
कोई किसी बात
पर कुछ नहीं
कह रहा होता है
सब कुछ अपनी
जगह पर जैसा था
वैसा ही हो
रहा होता है
बस तुझे ही
कुछ कुछ हमेशा
की तरह का
हो रहा होता है
तेरा सच में
कुछ भी नहीं
हो सकता है
सब के मौज
हो रहे होते हैं
हर कोई खुश
हो रहा होता है
बस एक तू
अपनी आदत
के कारण
कुछ होने या
ना होने पर
रो रहा होता है
तेरा कुछ नहीं
हो सकता है
कुछ होने वाला
होता भी है
तब भी तेरा
जैसा ही बस
कोई यही कह
रहा होता है
हो रहा है जो
कुछ कहीं भी
हो रहा होता है
आँखिर क्यों हो
रहा होता है ।

रविवार, 2 फ़रवरी 2014

कुछ ना इधर कुछ ना उधर कहीं हो रहा था

लिखा हुआ
पत्र एक
हाथ में
कोई लिया
हुआ था

किस समय
और कहाँ पर
बैठ कर
या खड़े होकर
लिखा गया था

शांति थी साथ में
या बहुत से लोगो
की बहस सुनते हुऐ
कुछ अजीब सी
जगह से बिना
सोचे समझे ही
कुछ लिख विख
दिया गया था

कितनी पागल
हो रही थी सोच
किस हाल में 

शरीर बहक
रहा था

नहा धो कर
आया हुआ
था कोई
और खुश्बू से
महक रहा था

बह रही
थी नाक
छींकों
के साथ
जुखाम
बहुत
जोर का
हो रहा था

झगड़ के
आया था
कोई कहीं
आफिस में
बाजार में
या घर की
ही मालकिन से
पंगा हो रहा था

नीरो की
बाँसुरी भी
चुप थी
ना कहीं
रोम ही
जल रहा था

सब कुछ
का आभास
होना इस
आभासी
दुनियाँ में
कौन सा
जरूरी
हो रहा था

अपनी अपनी
खुशी
छान छान
कर कोई
अगर
एक छलनी
को धो रहा था

दुखी और बैचेन
दूसरा कोई कहीं
दहाड़े मार मार
कर रो रहा था

बहुत सी जगह
पर बहुत कुछ
लिखा हुआ पढ़ने
का शायद कुछ
ऐसा वैसा ही
असर हो रहा था

पत्र हाथ में
था उसके
पर पढ़ने का
बिल्कुल भी मन
नहीं हो रहा था

अपने अपने
कर्मो का
मामला होता है

कोई इधर तो
कोई उधर पर
खुद ही
ढो रहा था ।

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

उसके जैसा ही क्यों नहीं सोचता शायद बहुत कुछ बचता

हर आदमी
सोच नहीं रहा
अगर तेरी तरह
तो सोचता
क्यों नहीं
जरुर ही कहीं
खोट होगा
तेरी ही सोच में
सोचने की
कोशिश तो
करके देख
जरा सा
सुना है
कोशिश
करने से
भगवान
भी मिले हैं
किसी किसी
को तो
सोच मिलना
तो बहुत
ही छोटी
सी बात है
कभी कहीं
लिखा हुआ
देखा था
किसी ने
सुनाया था
या पढ़ाया था
याद नहीं है
 पर होता
होगा पक्का
क्योंकी हकीम
लुकमान की
सोचने की दवा
बनाने की विधि
में भी कुछ
ऐसा ही लिखा
हुआ साफ
नजर आता है
विश्वास नहीं होता है
तो थोड़ी देर के लिये
पुस्तकालय में जाकर
पढ़ देख कर क्यों
नहीं आ जाता है
बैठा रहता है
फालतू में
जब देखो कहीं भी
कभी भी किसी
बात पर भी
कुछ भी लिख
देने के लिये
कभी तो कुछ
सोच ही लिया कर
जैसा लोग सोचते हैं
देख तो जरा
किसी और की
तरह सोच कर
फिर पता
चलेगा तुझे भी
सोच और सोच
का फरक
क्या पता इसी
सोच की सोच
को अपना
कर कुछ
तू भी कुछ
सुधर जाये
तेरी सोच को कुछ
उनकी सोच
का जैसा ही
कुछ हो जाये
बहुत कुछ बचेगा
जब हर कोई
एक जैसा
ही सोचेगा
उसी सोच
को लेकर
हर कोई कुछ
कुछ करेगा
अच्छा नहीं
होगा क्या
एक के सोचने
के बाद किसी
और को कुछ
भी नहीं
सोचना पड़ेगा
क्योंकि लिख दिया
जायेगा कहीं पर
कि ये सोचा
जा चुका है
कृपया इस पर
सोचने की अब
कोशिश ना करें
कुछ और सोचने से
पहले भी पता करलें
और पूछ लें
कुछ सोचना
है कि नहीं ।

मंगलवार, 26 नवंबर 2013

कर कुछ भी कर बात कुछ और ही कर


कुछ इधर 
की
बात कर 

कुछ उधर 
की
बात कर 

करना बहुत 
जरूरी है 

बेमतलब 
की
बात कर 

समझ में 
कुछ आये 
कहा कुछ 
और
ही जाये

बातों की 
हो बस बात 
कुछ ऐसी
ही
बात कर 

इससे करे 
तो
उसकी 
बात कर 

उससे करे 
तो
इसकी 
बात कर 

जब हों 
आमने 
सामने 
ये वो 

तो
मौसम 
की
बात कर 

कुछ भी 
करना 
हो
कर 

जैसे भी 
करना 
हो
कर 

बात करनी 
ही
पड़े

तो
कुछ नियम 
की
बात कर 

थोड़ी चोरी 
भी
कर 

कुछ 
बे‌ईमानी 
भी
कर 

बात पूरी 
की
पूरी 

ईमानदारी 
की
कर 

इसके पीने 
की
कर 

उसके पीने 
की
कर 

खुद
की 
बोतल में 

गंगाजल 
होने
की 
बात कर 

कहीं भी 
आग लगा 

जो
मन में 
आये जला 

आसमान 
से

बरसते 
हुऐ पानी 
की
बात कर 

अपनी भूख 
को बढ़ा 

जितना
खा 
सकता है
खा 

बात भूखे 
की
कर 

बात गरीबों 
की
कर 

 बात 
करनी है 
जितनी
भी 
चाहे तू
कर 

बात करने 
पर ही 
नहीं लगता 
है कर 

यहां कोई 
बात कर 

वहां कोई 
बात कर 

बाकी पूछे 
कोई कभी

कहना
ऊपर 
वाले से
डर ।

शनिवार, 22 जून 2013

कुछ नहीं कुछ बहुत कुछ


कुछ लोग 
बहुत थोडे़ शब्दों में 
बहुत कुछ 
कह ले जाते हैं 

उनके शब्द 
उनकी तरह सुन्दर होते हैं 

उनके बारे में 
कुछ
कहाँ 
बता जाते हैं ?

शब्द
मेरे 
पास भी नहीं होते हैं 
ना ही
मेरी 
सोच में ही आ पाते हैं 

किसे बताउँ 
क्या बताउँ 
कैसे कैसे लोग 
क्या क्या कर ले जाते हैं 

कुछ लोग
बस 
खाली बैठे बैठे 
शर्माते हैं 

सीख क्यों नहीं 
लेते
कुछ शब्द 
ऎसे
जो सब 
लोग कह ले जाते हैं 
सब लोग समझ जाते हैं 

सबके आस पास 
सब कुछ हो रहा होता है 
हर कोई किसीचीज पर
कुछ 
ना कुछ कह रहा होता है 

कुछ लोग
वो 
सब कुछ
क्यों 
नहीं देख ले जाते हैं 

जिस पर 
लिखने से 
लोग शोहरत पा ले जाते हैं 

समान समान में 
विलय हो जाता है 
सिद्धान्त पढ़ते पढ़ाते भी कुछ लोग
नहीं 
समझ पाते हैं 

कुछ लोग ही तो 
होते हैं
जो कुछ 
लोगों का कहे को ही
कहा है 
कहे जाते हैं 

लोग लोग होते हैं 
इधर होते हैं या उधर हो जाते है 
कुछ लोग ही जानते हैं
जाने वाले 
किधर किधर जाते हैं 

बहुत से शब्द 
बहुत से लोगों के पास हो जाने से 
कुछ भी नहीं कहीं होता है 

कुछ लोगों के 
कुछ शब्द ही 
कुछ कहा गया है की श्रेणी में आ पाते हैं 

मेरे तेरे और 
उसके जैसे लोग तो
आते हैं और 
चले जाते हैं 

कुछ लोगों के 
लिये ही होती हैं 
वही कुछ चीजें 
उन का लुफ्त कुछ लोग ही उठा पाते हैं 

कहीं से शुरु कर 
कहीं पर खतम कर के देख ले 

आज कल हो 
या परसों 
कुछ लोग ही दुनियाँ को चलाते हैं 

बहुत से लोग 
मर भी जायें 
कुछ लोगों के लिये
से
कुछ 
नहीं होता है 

शहीद
कुछ 
लोगों में से ही गिने जाते हैं 

कुछ बातें 
कुछ लोगों की 
कुछ लोग ही समझ पाते हैं । 

चित्र साभार: https://www.123rf.com/

शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कुछ कर

उधर की
मत सोच
आज इधर
को आ

कुछ अलग
सा कर
माहौल बना

गुलाब एक
सोच में
अपनी ला
खुश्बू भीनी
किताब
में दिखा
स्वाद की
रंगीन फोटो
चल बना
प्यार की
फिलम देख
रिश्तों के
धागे सुलझा

ध्यान मत
अब भटका
उधर होने दे
इधर को आ

अपना अपना
सब को
करने दे
तू अपना
भी करवा

कोई किसी
के लिये
नहीं मर
रहा है
तू भी
मत मर
कुछ अलग
सा तो कर

मधुशाला
की सोच
साकी को
सपने में ला
फूलों के
गिलास बुन
पराग की
मय गिरा

टेड़ा हो जा
हरी हरी
दूब बिछा
लुड़क जा

जब देख
रहा है
सब को
बेहोश
अपने होश
भी कभी
तो उड़ा

उनसे अपना
जैसा करवाने
की छोड़
उनका जैसा
ही हो जा

चैन से
बैठ कर
जुगाली कर
चिढ़ मत
कभी चिढ़ा

चल अपना
आज अलग
तम्बू लगा

कर ना
कुछ अलग
तो कर

उसको
उसका
उधर
करने दे
तू कुछ
इधर
अपना
भी कर ।

शनिवार, 21 जुलाई 2012

आज कुछ नहीं है

आप
कुछ भी
कह कर
के देखो
वो उस पर
कुछ कुछ
कह ही
जाते हैं

कुछ
जनाब
कुछ भी
हो जाये
कुछ नहीं
कह कर
जाते हैं

कुछ को
हमेशा
कुछ ना
कुछ होता
रहता है

कुछ ने
देखा नहीं
कुछ कहीं
कुछ कुछ
होना उनको
शुरु होता है

कुछ हुआ
है या नहीं
कुछ को
कुछ तो
जरूर पता
होता है

जाकर
देखना
पड़ता है
कुछ इस
सब के लिये
कुछ ना कुछ
कुछ जगह
पक्का ही
लिखा होता है

कुछ नहीं
भी हो कहीं
तो भी
क्या होता है

कुछ हो
जाता है
अगर तब
भी कौन
सा कुछ
होता है

कुछ होने
या ना
होने से
कुछ
बहुत कुछ
कहने से
बच जाते है

कुछ
कहूंगा
पक्का
सोचते हैं
पर कुछ
कहने से
पहले ही
कुछ भ्रमित
हो जाते हैं

कुछ
आते हैं
कुछ
जाते है
कुछ
पढ़ते हैं
कुछ
लिखते हैं

कुछ
कुछ
भी नहीं
करते हैं

बस कुछ
करने
वालों
से कुछ
दुखी हो
जाते हैं

कुछ दिन
कुछ नहीं
करते हैं

कुछ  दिन
बाद फिर
कुछ कुछ
करना शुरू
हो जाते हैं ।

रविवार, 24 जून 2012

कुछ नया किया जाये

खुद के
मन के अंदर
घुमड़ रहा हो जो

जरूरी नहीं
उसका बादल
बनने दिया जाये

दूसरा बादल
कहीं और
बना के क्यों ना
बरसने दिया जाये

अपने चेहरे को
अपने आईने
में ही देखा जाये

जरूरी नहीं
जो दिखे खुद को

उसे किसी
और को
दिखाया जाये

अपने अपने
आईने को
पर्दों से
ढक दिया जाये

कोई क्या
देख रहा है
उनके अपने
आईने में
किसी से
ना पूछा जाये

वीराने
बुनने वालों को
किसी दिन
बिल्कुल भी
ना टोका जाये

एक दिन
तो ऎसा हो

जिस दिन
अपने गमलों
को बस
देखा जाये

उनकी
आवारगी
को आज
नजरअंदाज
कर दिया जाये

एक दिन
के लिये सही 

अपना ही
आवारा 
हो
लिया जाये

चुपचाप
आज दिन में ही
सो लिया जाये

कुछ पल
का ही सही
मौन ले
लिया जाये

अपनी
बक बक
की रेल को
लाल सिग्नल
दिया जाये

किसी
और का
सुरीला गीत
आज के लिये
सबको सुनने
को दिया जाये।

शुक्रवार, 22 जून 2012

कर नया कुछ

चलिये
आज कुछ

मूड बदल
दिया जाये


कुछ
रूमानी
बातों में

दिल को अपने

जबरदस्ती  
धकेल
लिया जाये


कहाँ से
करें शुरू
कि

मजा ही मजा
हो जाये


पिताजी
आज बिजली

वाला आया था

पुराने
बहुत से बिल

जमा नहीं हुवे हैं
समझाने आया था

छोड़िये भी
रहने दीजिये
इधर से भी
ध्यान हटाते हैं

बारिश
नहीं हो रही है

बहुत समय से
लोग बताते हैं

कुछ
बादलों की

सोच कर
सपनों में ही सही
नमी ले आते हैं

सुनते हो जी
गैस का सिलिण्डर
वापिस आ गया है

मेट को
गाड़ी वाले ने

वापिस लौटा दिया है

कल से स्टोव में

खाना बनाइयेगा

आज
अभी जा के

कैरोसिन
पाँच लीटर

जरा बाजार से
ब्लैक में ले आइयेगा


उफ
एक कोशिश
अंतिम कोशिश

क्या पता
मूड बन ही जाये

अंधे
के हाथ में
कानी बटेर
कहीं
से आ जाये

इंद्रधनुष
देखे सोचे हुवे

एक अर्सा बीत गया

रंगों को
सब काला सफेद

मौका मिलते ही
हर कोई कर गया

चलो
घर पर ही

उसे बना लिया जाये

बल्ब की
तेज रोशनी करके

पानी की फुहारों को
हवा में उडा़या जाये

आम
जनता को

सूचित किया जाता है

बिजली
कटौती से

चूंकि पम्प नहीं
चल पाता है

अगले
दो दिन पानी

नहीं आ पायेगा

जिसे प्यास
लग ही गयी

बिसलेरी बाजार से
अपने लिये खरीद
के ले आयेगा

रहने भी
दीजिये


किसी
और दिन अब

खुश रहने
का जुगाड़

कर लिया जायेगा

आज भी
कटे फटे

मुद्दों पर ही ध्यान
लगाया जायेगा

पढ़ने
वाले भी

इसी के आदी
हो चुके हैं

खाली
कहीं नई

रंगीन बात
छपी
देख
कर यहां


किसी को
तेज
बुखार
आ जायेगा ।

बुधवार, 13 जून 2012

कुछ तो सीख

रसोईया मेरा
बहुत अच्छे
गाने सुनाता है

तबला थाली से ही
बजा ले जाता है
बस कभी कभी
रोटियां जली जली
सी खिलाता है

अखबार देने
एक ऎसा
आदमी आता है
ना कान सुनता है
ना ही बोल पाता है

हिन्दुस्तान
डालने को
अगर बोल दिया
उस दिन पक्का
टाईम्स आफ इंडिया
ले कर आ जाता है

लेकिन दांत बहुत ही
अच्छी तरह दिखाता है

बरतन धोने को जो
महिला आती हैं
छ : सिम और एक
मोबाईल दिखाती है

आते ही चार्जर को
लाईन में घुसाती है
उसके आते ही
घंटियाँ बजनी शुरु
घर में हो जाती हैं

बरतनो में खाना
लगा ही रह जाता है
पानी मेरी टंकी का
सारा नाली में बह
के निकल जाता है

मेहमान मेरे घर
में जब आते हैं
अभी तक
मास्टर ही हो क्या
पूछते हैं
फिर मुस्कुराते हैं

कुछ अब कर
भी लीजिये जनाब
की राय मुझे
जाते जाते जरूर
दे के जाते हैं

अब कुछ
उदाहरण
ही यहाँ पर
बताता हूँ
चर्चा को
ज्यादा लम्बा
नहीं बनाता हूँ

बाकी लोगों के
कामों की लिस्ट
अगले दिन के
लिये बचाता हूँ

पर इन सब से
पता नहीं मैं
अभी तक भी
कुछ भी क्यों नहीं
सीख पाता हूँ।

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

कुछ

कभी कुछ
व्यक्त नहीं
करने वाली
भीड़ में से

कुछ लोग
अपने आप
कुछ हो
जाते हैं

बाकी कुछ को
समाचार पत्र के
माध्यम से बताते हैं
वो कुछ हो गये हैं

नहीं बोलने
वाले कुछ लोगों
को कोई फर्क
नहीं पड़ता है
अगर कोई
अपने आप कुछ
हो जाता है
और बताता है

जो कुछ
हो जाते हैं
वो भी कभी
कुछ नहीं
बोलते हैं

बस कुछ कुछ
करते चले जाते हैं
कुछ भी किसी को
कभी नहीं बताते हैं

ऎसे ही कुछ कुछ
होता चला जाता है

ऎसे ही यहाँ के कुछ
वहाँ के कुछ लोगों
से मिल जाते हैं

बीच बीच में
कुछ कुछ
करने कहीं कहीं
को चले जाते हैं

ये सब भारत देश
के छोटे लोकतंत्र
कहलाते हैं

कुछ भी हो कुछ
करना इतना भी
आसान नहीं होता है

कुछ कर लिया
जिसने यहां
उससे बड़ा
भगवान ही
नहीं होता है।