काँव काँव
कर्कश होती है
कभी कह भी
दिया होता है
किसी ने तो
ऐसा भी तो
नहीं होता है
कि मुँडेर पर
आना ही
छोड़ दो
निर्मोही
मोह
होता ही है
भंग
होने के लिये
चल
लौट आ
और बैठ ले
सुबह सवेरे
पौ फटते ही
मेरे ही दरवाजे
के सामने के
पेड़ की किसी
एक डाल पर
कर लेना
जैसी मन
चाहे आवाज
एक नहीं कई
होती हैं बातें
ढल जाती हैं
कब आदतों में
पता तब चलता है
जब उड़ जाता है
कोई
तेरी तरह का
अचानक
अनजानी
दिशा को
नहीं लौटने की
कसम
रख कर जैसे
आसपास कहीं
सन्नाटा मन
मोहक होता
होगा बहुत
जैसा भ्रम
तेरे जैसे काले
बेसुरी मानी
जाने वाली
आवाज वाले के
मुँह मोड़ लेने के
बाद ही टूटता है
माया मोह
समझ में
आ जाना
बहुत बड़ी
बात है रे
तू समझ लिया
और उड़ लिया
‘उलूक’
बैठा है
अभी भी
इन्तजार में
अखबार के
समाचार के
रंग ढंग
बदलने के
मानकर
कि कुछ दिन
चुपचाप
आँख बन्द कर
बैठने के बाद
सूरज
सुबह का
नहाया धोया सा
चमकदार
दिखना
शुरु हो
जाता है ।
चित्र साभार: http://www.alamy.com
कर्कश होती है
कभी कह भी
दिया होता है
किसी ने तो
ऐसा भी तो
नहीं होता है
कि मुँडेर पर
आना ही
छोड़ दो
निर्मोही
मोह
होता ही है
भंग
होने के लिये
चल
लौट आ
और बैठ ले
सुबह सवेरे
पौ फटते ही
मेरे ही दरवाजे
के सामने के
पेड़ की किसी
एक डाल पर
कर लेना
जैसी मन
चाहे आवाज
एक नहीं कई
होती हैं बातें
ढल जाती हैं
कब आदतों में
पता तब चलता है
जब उड़ जाता है
कोई
तेरी तरह का
अचानक
अनजानी
दिशा को
नहीं लौटने की
कसम
रख कर जैसे
आसपास कहीं
सन्नाटा मन
मोहक होता
होगा बहुत
जैसा भ्रम
तेरे जैसे काले
बेसुरी मानी
जाने वाली
आवाज वाले के
मुँह मोड़ लेने के
बाद ही टूटता है
माया मोह
समझ में
आ जाना
बहुत बड़ी
बात है रे
तू समझ लिया
और उड़ लिया
‘उलूक’
बैठा है
अभी भी
इन्तजार में
अखबार के
समाचार के
रंग ढंग
बदलने के
मानकर
कि कुछ दिन
चुपचाप
आँख बन्द कर
बैठने के बाद
सूरज
सुबह का
नहाया धोया सा
चमकदार
दिखना
शुरु हो
जाता है ।
चित्र साभार: http://www.alamy.com