फिर से
दिखाई देने लगा है
दिखाई देने लगा है
बिना सोये
दिन के तारों के साथ
आक्स्फोर्ड कैम्ब्रिज मैसाच्यूट्स बनता हुआ
एक पुराना खण्डहर तीसरी बार
मोतियाबिंद पड़ी सोच के उसी आदमी को
जिसने
कई पर्दे चढ़ते उतरते देखें हैं
कई दशक में
दीमक लगी लकड़ियों वाली खिड़कियों
और दरवाजों को ढाँपते
और दरवाजों को ढाँपते
रसीदें दुगने तिगने
मूल्यों की सजाते
फाइलों में ऑडिट कराते
लाल नीले निशान लगे रजिस्टर सम्भालते निकालते
धूल पोंछ फिर वापस सेफ में डालते
अवकाश में चलते चले जाते
अदेय प्रमाणों को माथे से लगा
कृतज्ञता आँखों से निकालते
आते जाते
चश्में चढ़ाते निकालते
कितने निकल गये जहाँ से
पैदा कर खुद के लिये कई जमीनों
कई मकानों के मालिकाना हक
कई मकानों के मालिकाना हक
मुँह चिढ़ाते
खण्डहर की दीवार पर
एक निशान बना अपना
समय को दिखा ठेंगा दिखाते पुण्य के
जैसे कई पीढ़ियों के बना डालते
मत देखा कर
झंडों के लिये बने निमित्त
आँख नाक कान बन्द किये
नारे लगाते मिठाई बाटते
नारे लगाते मिठाई बाटते
खण्डहर की खाते
घर की जब अपने खुद की दुकाने
नहीं सम्भालते
नहीं सम्भालते
समझाने लगे हैं
उसी तर्ज पर जब बनाया था मकान नया
जो उजड़ गया तीन साल में
वही बातें फिर
अपने पुराने बटुऐ से फिर उसी फर्जीपने से निकालते
‘उलूक’
खुश रहा कर कमाई पर अपनी
बिना पैसे
बकवास को तेरी दे रहे हैंं कुछ तरजीह
बकवास को तेरी दे रहे हैंं कुछ तरजीह
क्यों पता नहीं
किसलिये
तेरे पन्ने को कुछ सिरफिरे
रहते हैं आगे निकालते।
--------------------------------------------------------------------
चित्र साभार:
https://www.istockphoto.com/
https://www.istockphoto.com/
---------------------------------------------------------------------
आभार: ऐलेक्सा।
ulooktimes.blogspot.com
Alexa Traffic Rank (World): 148,955
Traffic Rank in (INDIA) : 15,134
19/07/2020 का
ulooktimes.blogspot.com
Alexa Traffic Rank (World): 148,955
Traffic Rank in (INDIA) : 15,134
19/07/2020 का
--------------------------------------------------------------------------------