लिखना
पड़ जाता है
कभी मजबूरी में
इस डर से
कि कल शायद
देर हो जाये
भूला जाये
बात निकल कर
किसी किनारे
से सोच के
फिसल जाये
जरूरी
हो जाता है
लिखना नौटंकी को
इससे पहले
कि परदा गिर जाये
ताली पीटती हुई
जमा की गयी भीड़
जेब में हाथ डाले
अपने अपने घर
को निकल जाये
कितना
शातिर होता है
एक शातिर
शातिराना
अन्दाज ही
जिसका सारे
जमाने के लिये
शराफत का
एक पैमाना हो जाये
चल ‘उलूक’
छोड़ दे लिखना
देख कर अपने
आस पास की
नौटंकियों को
अपने घर की
सबसे
अच्छा होता है
सब कुछ पर
आँख कान
नाक बंद कर
ऊपर कहीं दूर
अंतरिक्ष में बैठ कर
वहीं से धरती के
गोल और नीले
होने के सपने को
धरती वालों को
जोर जोर से
आवाज लगा लगा
कर बेचा जाये।
चित्र साभार: www.kisspng.com
पड़ जाता है
कभी मजबूरी में
इस डर से
कि कल शायद
देर हो जाये
भूला जाये
बात निकल कर
किसी किनारे
से सोच के
फिसल जाये
जरूरी
हो जाता है
लिखना नौटंकी को
इससे पहले
कि परदा गिर जाये
ताली पीटती हुई
जमा की गयी भीड़
जेब में हाथ डाले
अपने अपने घर
को निकल जाये
कितना
शातिर होता है
एक शातिर
शातिराना
अन्दाज ही
जिसका सारे
जमाने के लिये
शराफत का
एक पैमाना हो जाये
चल ‘उलूक’
छोड़ दे लिखना
देख कर अपने
आस पास की
नौटंकियों को
अपने घर की
सबसे
अच्छा होता है
सब कुछ पर
आँख कान
नाक बंद कर
ऊपर कहीं दूर
अंतरिक्ष में बैठ कर
वहीं से धरती के
गोल और नीले
होने के सपने को
धरती वालों को
जोर जोर से
आवाज लगा लगा
कर बेचा जाये।
चित्र साभार: www.kisspng.com