एक देता है कुछ
अनुदान दो को
दो कार्यक्रम
बनाता है
फिर तीन
को बताता है
तीन बहुत दूर से
चार को बुलाता है
अतिथि गृ्ह
में ठहराता है
सलाद कटवाता है
गिलास धुलवाता है
चार सेवा टहल
करवाता है
टी ए डी ए
भरवाता है
खर्राटे भरकर
सो जाता है
पांच झाडू़
लगवाता है
मंच सजाता है
देर से घर जाता है
पांच फिर सुबह
सुबह आ जाता है
आदत से मजबूर
खुद पर
खिसियाता है
कोई भी उपस्थित
नहीं हुवा समय
पर पाता है
दो और चार
टहल के आते हैं
कौलर अपने
उठाते हैं
धूप में
बैठ जाते हैं
श्रोता एक घंटा
देर से आते हैं
बेहयाई से फिर
मुस्कुराते हैं
तीन घर में
बीन बजाता है
कुछ को मोबाईल
फोन मिलाता है
कार्यक्रम हुवा या
नहीं पता लगाता है
अखबार वालों को
सब कुछ बताता है
पांच अगले दिन
खबर में पाता है
सारी खबर में
अखबार तीन ही
तीन दिखाता है
तीन घर में
रखी बीन फिर
से बजाता है
पांच अपनी
बीबी से डांठ
जोर की खाता है।
अनुदान दो को
दो कार्यक्रम
बनाता है
फिर तीन
को बताता है
तीन बहुत दूर से
चार को बुलाता है
अतिथि गृ्ह
में ठहराता है
सलाद कटवाता है
गिलास धुलवाता है
चार सेवा टहल
करवाता है
टी ए डी ए
भरवाता है
खर्राटे भरकर
सो जाता है
पांच झाडू़
लगवाता है
मंच सजाता है
देर से घर जाता है
पांच फिर सुबह
सुबह आ जाता है
आदत से मजबूर
खुद पर
खिसियाता है
कोई भी उपस्थित
नहीं हुवा समय
पर पाता है
दो और चार
टहल के आते हैं
कौलर अपने
उठाते हैं
धूप में
बैठ जाते हैं
श्रोता एक घंटा
देर से आते हैं
बेहयाई से फिर
मुस्कुराते हैं
तीन घर में
बीन बजाता है
कुछ को मोबाईल
फोन मिलाता है
कार्यक्रम हुवा या
नहीं पता लगाता है
अखबार वालों को
सब कुछ बताता है
पांच अगले दिन
खबर में पाता है
सारी खबर में
अखबार तीन ही
तीन दिखाता है
तीन घर में
रखी बीन फिर
से बजाता है
पांच अपनी
बीबी से डांठ
जोर की खाता है।